कांग्रेस यह उपवास सांप्रदायिक सौहार्द के लिए रखेगी, जिससे कि लोगों में यह संदेश जाए कि वह हिंसा और तनाव में भरोसा नहीं करें। आपको बता दें कि एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के बाद देशभर में दलित संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया था, जिसका कई राजनीतिक दलों ने समर्थन किया था, जिसमे खुद कांग्रेस भी शामिल थी। आपको बता दें कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान राहुल गांधी ने ट्वीट करके भाजपा पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना RSS/BJP के DNA में है। जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं। हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की माँग कर रहे हैं। हम उनको सलाम करते हैं।
मोदी पर किया हमला –
यही नहीं आज एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदीजी, जिस दमनकारी विचारधारा से आप आते हैं वो दलितों और बाबासाहेब का सम्मान कभी कर ही नहीं सकती| भाजपा/RSS विचारधारा द्वारा बाबासाहेब के सम्मान के कुछ उदाहरण। अपने इस ट्वीट में राहुल गांधी ने देश अलग-अलग हिस्सों में बाबा साहेब की मूर्तियों तोड़े जाने की तस्वीर को भी साझा किया है।
बाबाओ को राज्यमंत्री बनाये जाने पर शिवराज को घेरा –
मध्य प्रदेश में पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने को लेकर सियासी हंगामा लगातार जारी है। इस मामले को लेकर जहां विपक्ष प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान पर पलटवार किया है। राहुल गांधी ने ट्वीट करके शिवराज सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ के एक गाने के जरिए सरकार के इस फैसले पर तंज कसा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘बाबा कहते थे बड़ा काम करुंगा, नर्मदा घोटाला नाकाम करुंगा, मगर यह तो मामा ही जाने, अब इनकी मंजिल है कहां। मध्यप्रदेश, कयामत से कयामत तक।’ राहुल गांधी के इस ट्वीट से पहले प्रदेश कांग्रेस ने शिवराज सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी ने चुनावी साल में साधु-संतों को लुभाने की कोशिश की है। बता दें कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार ने पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया है। इनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, कम्प्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत का नाम शामिल है। प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद सूबे की राजनीति में हंगामा मच गया है।