दो अप्रैल को देश भर में हुए दलितों के आंदोलन के जवाब में सवर्ण समाज ने भी 10 अप्रैल को सड़क पर उतरने का फैसला किया है। इसके मद्देनजर मध्य प्रदेश सरकार पहले से सजग है। किसी भी संभावित हिंसा के मद्देनजर मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। साथ ही स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। सवर्ण संगठनों ने मंगलवार 10 अप्रैल को आंदोलन किए जाने की घोषणा की है। 10 अप्रैल को संभावित बंद को लेकर ग्वालियर में धारा 144 लागू कर दी गई है, जो 20 अप्रैल तक लागू रहेगी। ग्वालियर में इंटरनेट सेवाएं रविवार रात से हुई बंद कर दी गई है, जो मंगलवार रात तक जारी रहेगा। ग्वालियर के 3 थाना क्षेत्रों में और डबरा के 2 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं मंगलवार को भोपाल में धारा 144 लागू रहेगी लेकिन स्कूल खुलेंगे।
गृह मंत्रालय ने दिए आदेश –
आरक्षण के विरोध में दस अप्रैल को होने वाले भारत बंद को देखते हुए गृह मंत्रालय ने देशभर में एडवाइजरी जारी की है। बता दें कि सोशल मीडिया पर कुछ समूहों ने भारत बंद की अपील की है। मंगलवार को आयोजित बंद की अपील किस राजनीतिक पार्टी या समूह ने की है इसका खुलासा अभी तक नहीं हो सका है। 2 अप्रैल को दलितों के आंदोलन के दौरान ग्वालियर, भिंड और मुरैना जिले में हुई हिंसक घटनाओं में 8 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से सबक लेते हुए राज्य सरकार के आदेश पर इस बार इन जिलों में इंटरनेट सेवा 10 अप्रैल रात 12 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
सवर्ण संगठनों के प्रदर्शन के मद्देनजर प्रशासन ने कमर कस ली है। सोमवार को मध्य प्रदेश सरकार में गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने प्रशासनिक अफसरों से चर्चा की। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर ग्वालियर, भिंड और मुरैना में प्रशासन ने स्कूल-कॉलेजों में 10 अप्रैल को छुट्टी घोषित कर दी है। गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि 10 अप्रैल को बंद की कोई अधिकृत घोषणा किसी संगठन ने नहीं की है, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ क्षेत्रों में दुष्प्रचार किया जा रहा है। हम अलर्ट पर हैं, सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ध्यान दे रही है। प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है। भूपेंद्र सिंह ने अपील की है कि जनता शांति बनाए रखे, मध्य प्रदेश का इतिहास शांति और सद्भाव का है। मंत्री ने पूरे घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए अपने घर में कंट्रोल रूम बनवाया है।
जाहिर है की सवर्ण बंद का आह्वान कर रहे है और उनका कहना है की आरक्षण को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाना चहिये| हालंकि किसी बी संगठन ने आगे आकर इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है|