आपसी विवाद से मजबूत इलाको में भी कमजोर हुई सपा

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due to internal dispute sp loosing ground from strong area as well

सपा में चल रहे आपसी विवाद का असर अब उसके चुनावी मैदान में भी दिखने लगा हैं | जहाँ एक तरफ घर के सभी सदस्य एक दुसरे से अलग हो चुके हैं तो इससे सपा के मजबूत इलाके के उम्मीदवार अपने को कमजोर समझने लगे हैं और उनके लिए संकट खड़ा हो गया हैं |

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मैनपुरी में उम्मीदवारों को लेकर संकट –

मैनपुरी जिले के सपा जिलाध्यक्ष मानिकचंद यादव ने कहा कि जिले की चार विधानसभा सीटों पर 2-2 प्रत्याशी हैं। एक मुलायम सिंह यादव ने घोषित किया है तो एक को अखिलेश ने। अपनी सूची में अखिलेश ने मैनपुरी सदर से विधायक राजकुमार यादव, किसनी से विधायक ब्रजेश कठेरिया, और भोगांव से मौजूदा विधायक आलोक शाक्य शामिल हैं हालांकि करहल के मौजूदा विधायक सोबरन सिंह को सूची में जगह नहीं मिली है। संयोगवश करहल के विधायक सोबरन सिंह का नाम मुलायम की लिस्ट में है और बाकी 3 जगहों से नए चेहरे हैं। अखिलेश ने सोबरन की जगह अपने चचेरे अंशुल यादव जो इटावा से जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, उन्हें अपनी सूची में शामिल किया है। वहीं मुलायम की सूची में भोगांव से शिव बख्श शाक्य, किसनी से संध्या कठेरिया और मैनपुरी सदर से मानिकचंद यादव शामिल हैं। दिलचस्प बात ये है कि बुधवार यानी 4 जनवरी को मानिकचंद का टिकट कट गया और उनकी जग सुजान सिंह यादव को टिकट मिल गया। पार्टी के लोगों का इस मुद्दे पर कहना है कि चारों विधानसभा से तथाकथित 8 उम्मीदवारों के चहरे बिल्कुल खिले हैं और वो चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन किसी को भी अपने भाग्य पर यकीन नहीं है।

जाहिर हैं की पार्टी के हर जगह के उम्मीदवार में एक ऐसा भ्रम पैदा हो गया हैं की आखिर कौन चुनाव लडेगा और किसको साइकिल का चुनाव चिन्ह मिलेगा | गौरतलब हैं की अखिलेश और मुलायम में फूट के बाद पार्टी का हर छोटा और बड़ा नेता बिखरता नजर आ रहा हैं और हर कोई अपने हिसाब से राजनीति कर रहा हैं | अब देखना होगा की आखिर चुनाव आयोग किसे साइकिल का चुनाव चिन्ह देता हैं और अब सपा अपने इस समस्या का समाधान कैसे निकालता हैं

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