यूपी में सपा के घरेलू विवाद के बाद अब पूरा यादव परिवार चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं और हर कोई अपनी पूरी जोर अजमाइश लगा रहा हैं | बात हैं लखनऊ कैंट की जहा एक तरफ मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव तो दूसरी तरफ कांग्रेस से भाजपा में आयीं रीता बहुगुणा जोशी। रीता जहां 25 वर्षों राजनीति में सक्रिय और इसके हर दांव पेंच से वाकिफ। वहीं दूसरी तरफ अपर्ण यादव का राजनीतिक सफर करीब एक वर्ष का, लेकिन उनके ऊपर राजनीति के उस पुरोधा का हाथ जिनका यूपी की राजनीति में 30 वर्षों से डंका बज रहा है। इन दोनों धुरन्धर नेताओं के मैदान में उतरने से राजधानी की कैन्ट विधान सभा का चुनाव सबसे रोचक होने जा रहा है। अपर्णा के उतरने के बाद अब इस सीट से समाजवादी पार्टी के साथ मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा भी जुड़ गयी है। ऐसे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस सीट के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उधर दूसरी तरफ रीता बहुगुणा जोशी ने पिछले चुनाव में यह सीट 21 हजार 753 वोटों के अन्तर से जीती थी। इतनी बड़ी जीत उनके लिए इस चुनाव में संबल का काम कर रही है। इसके अलावा पांच वर्षों में उन्होंने जो काम कराए हैं उस पर भी वह भरोसा जता रही हैं।
क्या कहती हैं अपर्णा –
मैं कैन्ट क्षेत्र में ही पैदा हुई हूं। मेरा बचपन यहीं बीता। डायमण्ड डेयरी में रहती थी। मैं कहीं बाहर से नहीं आयी हूं। यह मेरा क्षेत्र है। वर्किंग कर्मी से लेकर हर वर्ग के लोग मुझे जानते हैं। 25 वर्षो से यह क्षेत्र उपेक्षा का शिकार रहा है। मैंने एक वर्ष में वह काम कराया जो पिछले पांच वर्षों में नहीं हुआ। अखिलेश भइइया, राज्य सभा सदस्य नरेश अग्रवाल, किरनमय नन्दा तथा संजय सेठ ने मेरे प्रयास से इस क्षेत्र के विकास के लिए करोड़ों रुपए बजट लगाया। विभागीय बजट को छोड़कर एक वर्ष में 40 करोड़ का काम हुआ।
क्या कहती हैं रीता बहुगुणा जोशी –
मैंने विकास किया है और आगे भी विकास करेंगे। यह क्षेत्र हमेशा उपेक्षा का शिकार रहा है। मेरे आने के बाद यहां काफी काम हुआ है। जनता मेरे पांच वर्ष के काम से काफी खुश है। कैन्ट की उपेक्षित पड़ी 20-20 वर्षों पुरानी सड़कें बनवायीं। मैं जनता के बीच विकास का मुद्दा लेकर मैदान में हूं। जनता ने पिछले चुनाव में हमें काफी प्यार दिया था। इस बार भी उनका प्यार मिलेगा। सात वार्डों में सीवर लाइन स्वीकृत करायी। कुल 430 सड़कों को निर्माण कराया।
अब देखना होगा की आखिर इस बड़े घमशान में कौन बाजी मारता हैं |