यूपी चुनाव में मुसलमानों को अधिक से अधिक भागेदारी होती हैं और जिस पार्टी को पूरा मुस्लमान समुदाय समर्थन देदे वह लगभग जीत जाती हैं जो की पिछली बार सपा के साथ हुआ | लेकिन इस बार कई सारे मुसलमान सपा से नाराज होते नजर आ रहे हैं जिसकी ये वजहे हो सकती हैं |
1 – सपा का विवाद , जिससे बसपा को फायदा –
मुस्लिम समुदाय इस बात को लेकर भी आश्वस्त नहीं है कि पार्टी के भीतर का विवाद कब खत्म होगा और आखिरकार पार्टी किस नेता की अगुवाई में और किस चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतरेगी। आजमगढ़ में रहने वाले आबिद मसूद का कहना है कि परिवार के भीतर का झगड़ा भारतीय जनता पार्टी को लाभ पहुंचाएगा। हमें सांप्रदायिक पार्टी की ओर देखना पड़ेगा और बसपा इस वक्त एक मात्र उम्मीद के तौर पर दिख रही है। जिस तरह से परिवार के भीतर विवाद चल रहा है उसे देखकर इसके जल्द खत्म होने की उम्मीद कम लग रही है। पार्टी के भीतर यह विवाद अब खत्म नहीं होगा और इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ेगा।
2- सपा ने नहीं पूरे किये वादे-
सपा ने मुस्लिम समुदाय को 18 फीसदी आरक्षण देने का वायदा किया था, लेकिन यह वायदा अभी भी अधूरा है, मुस्लिम कहते हैं कि इसके लिए वह पार्टी को सबक सिखाएंगे, मुस्लिम समुदाय ना सिर्फ सपा बल्कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से भी खफा है।
3- मुजफ्फरनगर दंगो में सपा की निष्क्रियता –
जिस तरह से सपा ने मुजफ्फरनगर के दंगों पर अपना रुख दिखाया उससे भी मुस्लिम समुदाय काफी नाराज है। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमान वोटों का सपा को भारी नुकसान हो सकता है।
4- सर्वे में मुसलमान बसपा के साथ –
सपा के भीतर चल रहे विवाद और मुसलमानों के रुख को देखते हुए मायावती ने पहले ही 97 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे दिया है, ऐसे में मुसलमानों को इस बात का यकीन है कि अगर वह बसपा को अपना वोट देते हैं तो वह बेकार नहीं जाएगा।
हाल ही में आए तमाम चुनावी सर्वे इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि चुनावों में मायावती को लाभ होगा,
अब देखना ये होगा की सपा में चल रहे इस कलह की वजह से और कितने वोट उसके हाथ से खिसकते हैं