देश में सबसे अधिक विधानसभा सीटो वालो राज्य यूपी में जैसे जैसे चुनाव पास आ रहे हैं वहां की सियासत गरमाने लगी हैं | खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बागी तेवर अपनाते हुए अकेले लड़ने की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार अखिलेश का पूरा कैंपेन तैयार है। उन्हें इंतजार है तो सिर्फ 13 जनवरी का, जिस दिन भारत निर्वाचन आयोग चुनाव चिन्ह पर अपना फैसला सुनाएगा। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार अखिलेश के विश्वस्त करीबी ने कहा कि चाहे निशान साइकिल हो या मोटरसाइकिल, तैयारी पूरी है।
लेकिन पिता की छाया में बढ़ना चाहते हैं आगे –
कहा कि अखिलेश अपने पिता की छाया के भीतर आगे बढ़ना चाहते हैं। इसी कड़ी में वो अपने पिता मुलायम सिंह यादव के आस पास मौजूद षड़यंत्रकारी लोगों को भी उनसे दूर करना चाहते हैं। लेकिन नेता जी उन लोगों को नहीं छोड़ना चाहते, जिसके कारण अखिलेश के पास बगावत के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता। कहा कि अखिलेश को उनकी पत्नी और कन्नौज से सांसद डिंपल यादव का भी समर्थन मिल रहा है। सूत्रों के मुताबिक अपने चुनाव कार्यक्रमों की तैयारी और उससे जुड़े कामों को देखने के लिए हार्डिंग स्टीव ने भी अखिलेश को जानकारी दी है कि विकास के मुद्दे पर जनता उनके साथ है। अखिलेश के सहयोगी ने कहा कि उन्हें यह महसूस हो रहा है कि अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से अलग होना उनके लिए चुनावों में फायदे का सौदा बन सकता है। कहा कि अखिलेश भ्रष्टाचार और अपराधिकरण के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार हैं जिसकी शुरूआत उन्होंने पार्टी से ही की है, लेकिन अगर यह सफल नहीं हुआ तो वो बेड़ियां तोड़ देंगे |
करीबी ने जानकारी दी है कि अखिलेश खुद अखबारों, टेलीविजन और सोशल मीडिया पर होने वाले कैंपेन पर काम कर रहे हैं। कहा कि चुनाव चिन्ह में बदलाव होने पर उनके रथ में थोड़े बहुत बदलाव किए जाएंगे। अखिलेश के एक अन्य सहयोगी ने कहा कि आयोग के फैसले से इतर वो अपने पिता मुलायम सिंह यादव से आखिरी शब्द सुनने के लिए इंतजार कर रहे हैं। कहा कि उन्हें (अखिलेश को) इस बात का विश्वास है कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव तीन महीने के लिए पार्टी पर नियंत्रण की अनुमति देंगे।