सपा में चल रही नूरा कुश्ती अब उसके घर तक सीमित नहीं रही हैं बल्की वह अब चुनाव आयोग के दहलीज तक आ चुकी हैं और ऐसे में पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल पंक्चर होने की कगार पे हैं यानी चुनाव आयोग उसे सील कर सकती हैं |
क्या होगा आगे –
पूर्व निर्वाचन आयुक्त एस.वाई कुरेशी ने कहा की अपने पास बहुमत को दर्शाने के लिए दोनों पक्ष अपने दावे के पक्ष में हलफनामा और अपने समर्थकों के हस्ताक्षर पेश करेंगे। जिसकी सत्यता की जांच होगी और इन सब में चार से पांच महीने का वक्त लग सकता है। मुझे नहीं लगता कि यह चुनाव से पहले होने जा रहा है इसलिए हो सकता है कि साइकिल चुनाव चिन्ह को ही जब्त कर लिया जाए और दोनों ही गुटों को अनौपचारिक नाम और अनौपचारिक चुनाव चिन्ह प्रदान दिए जाएं।
अपना अपना हक़ जताने की कोशिश –
आपको बता दें कि पिता-पुत्र के इस वर्चस्व की इस लड़ाई में दोनों खेमों ने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर अपना हक जताने की कोशिश की है, जिसके लिए सपा नेता मुलायम सिंह आज चुनाव आयोग से मिलेंगे तो वहीं दूसरी ओर रामगोपाल यादव इस मामले में कल चुनाव आयोग जाएंगे।
जाहिर हैं की सपा में भयंकर घमशान काफी दिनों से चल रहा हैं जो की टिकट बाटने के अधिकार को लेके शुरू हुआ था और इसके बाद अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव के पार्टी से नकालने जैसे बड़े फैसले तक यह चला | अखिलेश के पार्टी से निकाले जाने के कुछ ही घंटो बाद उनका निष्कासन वापिस ले लिया जाता हैं और फिर अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाता हैं और शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया जाता हैं | ऐसे में समाजवादी पार्टी दो खेमे में बटती नजर आ रही हैं और दोनों ही दल अपना अपना हक़ ज़माने में लगे हुए हैं जो की जायज हैं लेकिन ऐसे में फैसला चुनाव आयोग का होगा की वह किसे यह चुनाव चिन्ह देती हैं और अगर ज्यादा वक्त लगा तो चुनाव आयोग इसे सील भी कर सकता हैं |