अपने जमाने के मशहूर एक्टर विनोद खन्ना का आज निधन हो गया। उनकी उम्र 70 साल थी और वो काफी समय से बीमार चल रहे थे। वो कैंसर से ग्रसित थे और मुंबई के गिरगांव के एचएन रिलायंस फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर में उनका इलाज चल रहा था। वो गुरुदासपुर से सांसद थे।
खन्ना को बीते 31 मार्च को मुंबई स्थित सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, अस्पताल की ओर से यही कहा गया था कि खन्ना के शरीर में पानी की कमी हो गई है। विनोद खन्ना के दो बेटे अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना हैं, जो बॉलिवुड में सक्रिय हैं।
ऐसा रहा जीवन का सफ़र
विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था।बंटवारे के बाद उनका परिवार मुंबई में बस गया। पिता टेक्सटाइल बिजनेसमैन थे, लेकिन विनोद साइंस के स्टूडेंट रहे और पढाई के बाद इंजीनियर बनने का सपना देखा करते थे। पिता चाहते थे कि वे कॉमर्स लें और पढ़ाई के बाद घर के बिजनेस से जुड़ें। स्कूलिंग के बाद पिता ने उनका एडमिशन एक कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा।
फ़िल्मी सफ़र
विनोद खन्ना ने अपनी पहली फिम मन के मीत 1968 में की थी और इसके बाद कई फिल्मों में उल्लेखनीय सहायक और खलनायक के किरदार निभाने के बाद 1971 में उनकी पहली एकल हीरो वाली फिल्म हम तुम और वो आई। विनोद खन्ना ने अपने करियर की चरम पोजिशन पर अचानक से फिल्मी दुनिया छोड़ दिया था। वो आचार्य रजनीश के अनुयायी बन गए थे। लंबे वक्त के बाद उन्होंने फिल्मों में वापसी की और जोरदार वापसी की। ‘मेरे अपने’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘इम्तिहान, ‘इनकार’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘लहू के दो रंग’, ‘कुर्बानी’, ‘दयावान’ और ‘जुर्म’ जैसी फिल्मों में उनके अभिनय के लिए जाना जाता है। वह आखिरी बार 2015 में शाहरुख खान की फिल्म ‘दिलवाले’ में नजर आए थे।
राजनीतिक सफ़र –
वर्ष 1997 और 1999 में वे दो बार पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से भाजपा की ओर से सांसद चुने गए। 2002 में वे संस्कृति और पर्यटन के कैबिनेट मंत्री भी रहे। 2002 में वे संस्कृति और पर्यटन के कैबिनेट मंत्री भी रहे। सिर्फ 6 माह पश्चात् ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया था।