मुख्यमंत्री के आश्वासन के साथ वापिस लौटेगे किसान, वापिस जाने के लिए किया गया स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम

0
875
farmers returns after getting assurance of the Chief Minister.

अपनी मागो के लिए नंगे पाँव 180 किलोमीटर का पैदल मार्च कर के मुंबई पहुचे किसानो की मेहनत रंग लाइ और कुछ ऐसी बाते हुई जिन्होंने सभी का ध्यान आकर्षित कर लिया | किसानों की योजना थी कि बिना शर्त ऋण माफी के मुद्दे पर वो विधानसभा का घेराव करेंगे। हालाँकि राज्य सरकार ने उनकी कई मांगे मान लीं। सीपीआई (एम)से जुड़ी अखिल भारतीय किसान सभा, जो विरोध प्रदर्शन कर रही थी, ने कहा कि यह विचार करेगा कि सरकार को क्या पेशकश करनी चाहिए। सीपीआई (एम) के नेता अशोक धले ने कहा था कि 50,000 से ज्यादा लोग इस विरोध में शामिल हुए हैं। दूसरी ओर मध्य रेलवे ने मुंबई के सीएसएमटी से भुसावल तक दो विशेष ट्रेनों को चलाने के लिए कहा है जो 8.50 बजे और 10.00 बजे चलेंगी। इन ट्रेनों से  आंदोलनकारी किसानों को वापस भेजा जाए।

farmers returns after getting assurance of the Chief Minister.

ये बोले मुख्यमंत्री देवेन्द्र –

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने आज कहा कि उनकी सरकार किसानों और आदिवासियों की मांगों के प्रति ‘संवेदनशील और सकारात्मक’ है, जिन्होंने अपनी समस्याओं के प्रति प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए नासिक से मुंबई तक आए हैं। फड़नवीस, विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के सवालों का जवाब विधानसभा में हो रही चर्चा का जवाब दे रहे थे, जिन्होंने किसान लॉन्ग मार्च में शांतिपूर्ण विरोध में भाग लिया था।

फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि- हमने किसानों की ज्यादातर मांग मान ली है, इसके लिए हमने लिखित आश्वासन भी दिया है। वहीं महाराष्ट्र के सिंचाई मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि किसानों के साथ बैठक हुई है। सभी बातों पर चर्चा हुई। जल्द ही उनके नेता आंदोलन को खत्म करने का ऐलान करेंगे।
बुलाई थी हाई लेवल मीटिंग –

इससे पहले रविवार देर रात महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक हाई लेवल मीटिंग की। मीटिंग के बाद छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। विपक्षी दलों के साथ भाजपा नीत गठबंधन के घटक शिवसेना ने भी इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया है। शिवसेना यूथ विंग के नेता आदित्य ठाकरे ने यहां किसानों से मुलाकात की। बाद में वह रैली में शामिल भी हुए।

ये है किसानो की मागें –

किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें भी लागू की जाएं। इसके साथ ही किसानों की मांग है कि आदिवासी किसान भूमि आवंटन से जुड़े मामलों का निपटारा किया जाए। जावा किया जा रहा है कि इस मार्च में सबसे ज्यादा आदिवासी किसान ही हैं। किसानों की मांगों में कर्ज माफी के साथ ही उचित समर्थन मूल्य और जमीन पर मालिकाना हक शामिल है।

किसानों की मांग है कि गरीब और मध्यम वर्गीय किसानों के ऋण माफ करें। किसानों का यह आरोप भी है कि ऋण माफी को लकेर आंकड़ों को ज्यादा बताया जा रहा है। मांग की जा रही है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार खेती में होने वाले कुल खर्च के साथ ही उसका 50 प्रतिशत और दाम बतौर समर्थन मूल्य दिया जाए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here