उत्तरप्रदेश में चुनाव होने में 20 दिन का समय बचा हैं. चुनावी मौसम में एक एक वोट भी महत्वपूर्ण हैं. ऐसे में किसान यूनियन ने किसी भी पार्टी को वोट देने के लिए अपनी शर्तों की सूची बना ली हैं. किसान यूनियन चाहती हैं कि उनकी 11 मांगे राजनेतिक दल का घोषणा पत्र में शामिल की जाएँ. जो भी राजनेतिक दल इन मांगों को मान लेगा उसे किसानो का वोट मिल जायेगा.
अब जान लेते है कि आखिर क्या हैं किसान यूनियन की मांगें.
ये हैं किसान यूनियन की मांगे
किसान चाहते हैं कि इन विधानसभा चुनावों में किसानों के कर्जे माफ़ करने, छोटे किसानों को बिना ब्याज के कर्ज मुहैया कराने, फसलों की सही कीमत तय करने जैसी ग्यारह मांगों पर सभी राजनेतिक दल ध्यान दें. इसके लिए किसानों ने इलाहाबाद माघ मेले में बड़ी संख्या में एकत्रित होकर शक्ति प्रदशर्न भी किया. इलाहाबाद के माघ मेले में हुए किसान यूनियन के राष्ट्रीय अधिवेशन में यह एलान किया गया कि संगठन के पदाधिकारी अपनी मांगों के प्रस्ताव को सियासी पार्टियों तक पहुंचाएंगे और उसके बाद सभी पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र को देखेंगे. जो भी पार्टी किसानों के हित की बात सबसे ज़्यादा करेगी, किसान यूनियन उसी का समर्थन करेगा.
नोटबंदी का दिखा विरोध
इस सभा में अधिकतर लोग पीएम मोदी की नीतियों का विरोध करते दिखें. नोटबंदी से सबसे प्रभावित किसान ही हुआ हैं. इस अधिवेशन में नोटबंदी को किसान विरोधी बताया गया. नोटबंदी के करण किसानों को अत्यंत कम मूल्य पर अपनी सब्जियों व फसलों को बेचना पडा जिससे किसानो का बहुत नुक्सान हुआ. साथ ही नोटबंदी के कारण किसान समय पर फसलों की बुवाई भी नहीं कर पायें जिससे आने वाले समय में भी किसान अपने नुक्सान की भरपाई नहीं कर पायेगा.
पीएम मोदी की नीतियों से खुश नहीं किसान
किसानों को नोत्बंदी के बाद बहुत परेशानी तो हुई ही साथ ही केंद्र सरकार के गेहूं व आलू पर आयात शुल्क हटाने के फैसले से भी किसान चिंतित नज़र आयें. किसानों के अनुसार इस फैसले से किसानों का नुकसान ही हुआ है.
किसानों ने तो हजारों की संख्या में माघ मेले में पहुँच कर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर दिया हैं.अब देखना है कि कौन सा दल इन किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरता हैं.