सपा की खींच तान केवल समाजवादी पार्टी के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात हैं. इस पुरे प्रकरण दिलचस्प बात ये हैं कि अखिलेश समर्थक अखिलेश के चाचा शिवपाल को सपा की फूट का कारण बता रहें हैं वहीँ मुलायम समर्थक मुलायम सिंह के ही दुसरे भाई रामगोपाल यादव को इस कलह का कारण बता रहे हैं.
मुलायम सिंह ने कल शाम जब प्रेस कांफ्रेंस की तब तक रामगोपाल के निष्कासन का लैटर टाइप हो चूका था. लेकिन अखिलेश यादव का लैटर टाइप नहीं हो पाया था. ऐसे में ये प्रश उठना लाजमी है कि ऐसी क्या जल्दी थी मुलायम सिंह ने बिना ओपचारिकता पूरी किये ही अपने पुत्र को सपा से 6 वर्ष का वनवास देने का आदेश सुना दिया. लेकिन उसके बाद जो कुछ हुआ उसकी उम्मीद शायद मुलायम सिंह यादव और शिवपाल खेमे को नहीं रही होगी.
अधिकतर MLA अखिलेश के पक्ष में जाते दिख रहे हैं.ऐसे अधिकतर उम्मीदवार जिन्हें सपा की तरफ से टिकट मिल चूका हैं वे भी अखिलेश के खेमे में रहने के लिए अपना सपा पार्टी से मिला चुनावी टिकट भी लौटने को तैयार हैं. उत्तर प्रदेश के छाता से प्रत्याशी लोककमणी जादौन का भी कहना है कि उनको टिकट मिला है. समाजवादी पार्टी से भी और अखिलेश की लिस्ट में भी हैं, लेकिन वह अखिलेश की लिस्ट रहना चाहते हैं. समाजवादी पार्टी का टिकट वो लौटा देंगे.
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए न जाने कितने सार्वजनिक मंचो पर अपने पिता से डाट खाई है जिसे वे मुस्कुराकर सुनते गए लेकिन अब शायद उनके सब्र का बांध भी टूट गया है. इसलिए अपनी ही पार्टी में अखिलेश अपनी बात नहीं मनवा पायें. और आखिरकार अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर ही दी. ऐसा नहीं है कि पिता के लिए बेटे को अपनी पार्टी से निष्कासित करने का फैसला आसन रहा होगा, प्रेस कांफ्रेंस में मुलायम भावुक भी हुए. और आज जिस तरह का माहोल है और अधिकतर समर्थक व सपा नेता अखिलेश के पक्ष में जाते दिख रहे हैं उससे भी मुलायम सिंह ही अधिक दुखी हो रहे होंगे. ऐसा नहीं हैं कि अखिलेश इस सारे प्रकरण को अपनी जीत समझने की गलती कर रहे हैं. अखिलेश ने भी अपने समर्थकों को सन्देश भिजवाया कि वे उनके “पापा” के खिलाफ नारे बाजी न करें. क्यूंकि उनके पापा यानि मुलायम सिंह के आस पास के लोग उन्हें भड़का रहे हैं.
अब राजनीती भी क्रिकेट के खेल की तरह ही हो चुकी हैं. कब क्या हो जाएँ कह नहीं सकते. शायद जल्दी ही आपको इस निष्कासन के रद्द होने की खबर भी मिल जाएँ.