उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में भाजपा की करारी हार हुई है, दोनों सीटों पर सपा को जीत मिली है। गोरखपुर सीट पर समाजवादी पार्टी ने 20 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। गोरखपुर सीट के चुनाव परिणाम ना सिर्फ आमजन को बल्कि विश्वेषकों को भी हैरत में डाल रहे हैं। इसकी कई सारी वजहें है |
मठ के बाहर का प्रत्याशी –
ऐसा माना जाता है कि गोरखनाथ मंदिर के प्रति आस्था के चलते लोग मंदिर से जुड़े प्रत्याशी को वोट देते रहे हैं। करीब 30 साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर से बाहर के शख्स को लोकसभा के चुनाव में प्रत्याशी बनाते हुए उपेंद्र दत्त शुक्ला को टिकट दिया जो हार की मुख्य वजह है |
बीजेपी नेताओं के विवादित बयान –
एक सभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा-बसपा के गठबंधन को चोर-चोर मौसेरे भाई का गठबंधन बताया तो पीपीगंज की सभा में इस गठबंधन को सांप-छछूंदर का गठबंधन बता दिया। एक और सभा में उन्होंने गठबंधन की तुलना बेर और केर से की।
बच्चो की मौत का मामला –
बीते साल अगस्त में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में एक रात में 34 बच्चों की मौत और इस इलाके में तीन दशक से लगातार मौत का तांडव रच रहे इंसेफेलाइटिस का जिक्र अखिलेश यादव ने लगातार अपने भाषणों में किया। अखिलेश ने लगातार इस बात के लिए आदित्यनाथ को घेरा कि कैसे मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनके ही क्षेत्र में कुछ लाख की ऑक्सीजन के चलते बच्चों की मौत हुई और फिर उनके मंत्रियों ने इस पर गैर जिम्मेदाराना बयान दिए।
विकास से अछूता गोरखपुर- गोरखपुर सीट हमेशा ही लोगों का ध्यान खींचती रही है, इसकी वजह गोरखनाथ मंदिर के महंत का चुनाव लड़ना भी रहा है। इस सीट से बीते कई चुनाव जीत चुके आदित्यनाथ अपने भाषणों को लेकर भी चर्चा में बने रहते हैं। गोरखपुर के लोगों का भी ये कहना है कि गोरखपुर में विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है लेकिन मंदिर की आस्था के चलते आदित्यनाथ को वोट मिलते रहे हैं। अब जबकि आदित्यनाथ को सीएम बने एक साल हो गए तो भी गोरखपुर को कुछ खास नहीं मिला, जिसको लेकर भी कहीं ना कहीं मतदाताओं में एक नाराजगी थी।
सपा के साथ पार्टियों का आना –
उपचुनाव में सपा की जीत की बड़ी वजह उसे बसपा का समर्थन रहा है। बसपा का एक अपना वोटबैंक माना जाता है, जिसे वो सपा को ट्रांसफर कराने में कामयाब रही। इसके साथ-साथ पीस पार्टी और निषाद पार्टी का भी समर्थन सपा उम्मीदवार को मिला। खास बात ये रही कि सपा ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष ते बेटे प्रवीण निषाद को टिकट दिया। गोरखपुर में निषाद वोट निर्णायक है, जो सपा को मिला। ऐसे में एक कड़े मुकाबले में सपा को जीत मिली। सपा और साथी पार्टियां मिलकर इतना मजबूत हो गईं कि वो भाजपा पर भारी पड़ीं।