उत्तरप्रदेश के गोरखपुर और फूल में होने वाले उपचुनावों के लिए आज चुनाव प्रचार का दौरा थम गया और अब सभी पार्टियों के नेता घर घर जाकर वोट मागना शुरू कर चुके है | गोरखपुर से सपा के उम्मीदवार प्रवीण निषाद ‘जय निषाद अखिलेश के साथ’ के नारे के साथ चुनावी मैदान में हैं। तो बीजेपी के उम्मीदवार उपेंद्र दत्त शुक्ला भी निषाद वोटरों को रिझाने का हर प्रयास कर रहे हैं। आपको बता दें कि गोरखपुर लोकसभा के 19.5 लाख वोटरों में से 3.5 लाख वोटर निषाद समाज के हैं। जो इस चुनाव में हार जीत तय कर सकते हैं। गोरखपुर उपचुनाव 11 मार्च को होगा और नतीजे 14 मार्च को आएंगे।
योगी की है अग्निपरीक्षा –
गोरखपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने उपेन्द्र शुक्ला को टिकट दिया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने सुरहिता करीम चैटर्जी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के आखिरी दिन पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं। क्योंकि वो खुद इस सीट से लगातार 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं और विधानसभा चुनावों के बाद इन बायपोल को सीएम योगी की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है।
गोरखपुर में गूंजा “ अपना अपना याद रहे नारा” –
गोरखपुर ग्रामीण से गुजरने वाले मलौली बांध के किनारे पथरा गांव के नुक्कड़ पर रामकरन निषाद चाय की दुकान पर धुनी रमाए हुए हैं। अपनी बिरादरी के राजेंद्र को देखते ही जोर से आवाज लगाते हैं ‘अपना-अपना याद रहे।’ एसपी-बएसपी गठबंधन के साथ ही छोटी पार्टियां भी जो जोर लगा रही हैं, उससे राजेंद्र सरीखे कई बड़े उत्साह में हैं। उनका कहना है कि हालात अनुकूल हैं और निषाद समाज को लग रहा है कि उनकी बिरादरी का प्रत्याशी इस बार जरूर जीतेगा, इसलिए एकजुट हैं। उधर बीजेपी के प्रत्याशी उपेंद्र शुक्ला ये कहते नहीं थक रहे हैं कि कैसे उन्होंने निषाद समाज की मदद की है। वो कहते है कि मैंने तो एक निषाद समाज की छोटी सी बच्ची का देखभाल करता हूं अपने घर पर उसको रखता हूं और वक्त आने पर उसका कन्यादान भी करूंगा।
ब्राह्मणों और निषादों पर नजर –
गोरखपुर संसदीय इलाके में करीब साढ़े तीन लाख निषाद और करीब दो लाख ब्राह्मण वोटर हैं, जो किसी भी प्रत्याशी की जीत हार को तय करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगाया है। कांग्रेस की प्रत्याशी सुरहिता करीम की शादी गोरखपुर के प्रसिद्ध डाक्टर वजाहत करीम से हुई है लेकिन सुरहिता के पिता बंगाली ब्राह्मण हैं। कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित करते समय सुरहिता के नाम के साथ चटर्जी पर भी जोर देकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। उधर, भाजपा ने भी अपना उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ल को घोषित किया है। जो कि ब्राह्मण हैं।