पूरा देश ये जानने के लिए उत्सुक हैं की आखिर गुजरात में किसकी सरकार बनेगी | जहाँ पीएम मोदी गुजरात की रैलियों में जीएसटी और नोट्बंदी जैसे किस्से सूना रहे हैं वही राहुल गाँधी इन्ही चीजो की विफलताओ को लेकर मोदी सरकार को लगातार घेर रही हैं | लेकिन दो ऐसे मुद्दे हैं जिनसे सरकार बनेगी |
पहला हिंदुत्व –
हमेशा की तरह इस चुनाव में भी हिंदुत्व का कार्ड फेकने वाला विजयी रहेगा जैसा की बीजेपी ने केंद्र और यूपी चुनावों के दौरान किया था |ये कार्ड गुजरात में नया नहीं है। हिंदू और मुस्लिम वोट बैंक के नजरिए से देखा जाए तो 10 और 90 फीसदी वोट बैंक का अनुपात बनता है। पिछले चुनाव तक जो नजरिया बनता आया है उसमें मोटे तौर पर कांग्रेस को मुस्लिम पक्षधर और बीजेपी को हिंदू पक्षधर का माहौल बना या बनाया गया। तो क्या यही वजह है कि राहुल गांधी गुजरात के मंदिरों में दर्शनों के लिए उतावले हो रहे हैं और नरेंद्र मोदी भी अक्षरधाम मंदिर में मत्था टेक रहे हैं जिससे बड़ी तादाद में पाटीदार समाज जुड़ा है। तो क्या यही वजह है कि दो संदिग्धों के पकड़े जाने पर अहमद पटेल के लिंक जुड़ने का मामला तूल पकड़ रहा है। क्या यही वजह है कि अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव में हराने के लिए बीजेपी ने जमीन-आसमान एक कर दिया। राहुल जिस गति से सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि को धारण कर चुके हैं और बीजेपी उसकी इस छवि को उभरने से पहले से ही अहमद पटेल की हकीकत का आईना दिखाने में जुटी है। जाहिर है कि बीजेपी पहले मुद्दे पर बढ़त लेती रही है।
दूसरा जातिवाद –
दूसरा मुद्दा है जातिगत समीकरण का। कांग्रेस लंबे अरसे बाद इस मुद्दे को हथियाने की पूरी कोशिश में जुटी है। सभी को मालूम है कि हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी वो तीन चेहरे हैं जो अपने समाज के पैरोकार बने हुए हैं और कांग्रेस तीनों पर डोरे बहुत पहले से डाल रही है। इनके साथ प्लस प्वाइंट ये भी है कि तीनों ही युवा हैं तो समाज के साथ यूथ की भागीदारी सीधे सीधे दिख रही है। यहां बीजेपी फिलहाल पिछड़ रही है। कोशिश पूरी है कि चाहे सरदार पटेल के बहाने हो या फिर हार्दिक पटेल के करीबी तोड़कर, इस समीकरण को उलझाया जाए। ये बात अलग है कि भले ही समाज में सेंधमारी कर ली जाए लेकिन इन तीनों का टूट पाना मुमकिन नहीं। ये तीनों भी जानते हैं कि उनकी राजनीति बीजेपी की खिलाफत से चमकी है। बीजेपी की असल चिंता दूसरा मुद्दा ही है।