कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए अब आयकर विभाग ने एक नयी अधिसूचना जारी की हैं. इस नयी अधिसूचना के अनुसार अगर आपने अपने बैंक अकाउंट के साथ अपने पेन कार्ड की जानकारी बैंक में नहीं दी हैं तो आपको 28 फरवरी तक ये जानकारी अपने बैंक में देना जरूरी हैं. इस अधिसूचना में ये भी कहा गया है कि यदि पैन आपके पास नहीं है और आपको फॉर्म 60 देना जरुरी होगा.
क्यूँ किया पैन कार्ड अनिवार्य
सभी बैंक कह्तों के लिए पैन कार्ड या फॉर्म 60 अनिवार्य करने के पीछे सरकार का उद्देश्य किसी भी तरह से आले धन पर अंकुश लगाना हैं.
नोटबंदी से पहले के रिकॉर्ड पर भी होगी नज़र
वित्त मंत्रालय ने सभी डाकघरों और बैंकों से 8 नवम्बर से पहले के खतों के रिकॉर्ड भी मांगे हैं. इस नयी अधिसूचना में वित्त मंत्रालय ने बैंकों और डाकघरों को उन एकाउंट्स का 1 अप्रैल 2016 और 9 नवंबर 2016 के बीच जमा कराए गए कैश का डाटा भी मुहैया कराने को कहा है जिनमे नोटबंदी के बाद यानि 9 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच 2.5 लाख या उससे अधिक का पैसा जमा हुआ हैं.
करंट अकाउंट में 12.5 से अधिक की राशि जमा होने पर हो सकती हैं जाँच
यदि किसी कारोबारी द्वारा उसके चालू खाते में नोटबंदी के दौरान 12.5 लाख या उससे अधिक की राशि जमा हुई हैं तो उस कारोबारी की आय के स्त्रोतों की भी जाँच की जा सकती हैं. अकाउंट में 12.5 लाख से अधिक जमा होने पर 9 नवम्बर से पहले की सभी ट्रांजैक्शन की जांच भी की जायेगी.
सेविंग्स में 2.5 लाख से अधिक की जमा राशि वाले एकाउंट्स पर होगी नज़र
ऐसे बचत खाते जिनमे नोटबंदी के बाद 2.5 लाख या उससे अधिक की राशि जमा हुई हैं वो जाँच के घेरे में आयेंगे. आयकर विभाग व वित्त मंत्रालय ऐसे खातों में नोटबंदी से पहले हुए लेन देन की सारी डिटेल्स बैंक से मांग सकता हैं.
नोटबंदी के दौरान कमीशन पर खातों के दुरुपयोग की की खबरें आयी थी. इसलिए सरकार ने बैंकों और डाकघरों से नोटबंदी से पहले का भी ब्यौरा माँगा है जिससे ऐसे लोगों पर शिकंजा कसा जा सकें जिन्होंने अपने कालेधन को ठिकाने लगाने के लिए अन्य लोगों के अकाउंट या जन धन में खुलें खातों का प्रयोग किया हैं