भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी दलों ने आज राज्यसभा के सभापित और उप-राष्ट्रपति वैंकेया नायडू से मुलाकात की। इसके बाद एक प्रेस वार्ता में राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने एक हफ्ते पहले नायडू से मुलाकात के लिए समय मांगा था लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों के दौरे पर थे इसलिए मुलाकात आज हो पाई। आजाद ने कहा कि हमारी मुलाकात 40 मिनट तक हुई। इस दौरान उन्हें 71 सांसदों के दस्तखत वाला प्रस्ताव दिया। हमारे पास जरूरत से ज्यादा सांसद साथ हैं। आजाद ने कहा कि सभापित इस मांग को स्वीकार करें। आजाद ने बताया कि हम पांच वजहों से सीजेआई को हटाने की मांग कर रहे हैं।
- पद का गलत इस्तेमाल
आजाद के बाद कपिल सिब्बल ने प्रेस वार्ता में बताया कि आखिर क्यों विपक्ष सीजेआई दीपक मिश्रा को हटाना चाहता है। उन्होंने कहा कि दीपक मिश्रा के प्रशासनिक फैसलों से नाराजगी है। 4 जज यह बताना चाहते थे कि सब कुछ सही नहीं हो रहा है। सिब्बल ने कहा कि CJI पद का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
- न्यायपालिका की आजादी
सिब्बल ने कहा कि हम नहीं चाहते थे कि यह दिन कभी नहीं आए। हमारे संवैधानिक ढांचे में, न्यायपालिका एक बहुत ही खास जगह है। इसकी आजादी एक संवैधानिक अनिवार्य है, जिसके बिना लोकतंत्र फर्क पड़ता है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को ईमानदारी के उच्चतम स्तर को बनाए रखना चाहिए। उन्हें एक ही मानकों द्वारा भी परीक्षण किया जाना चाहिए।
- संविधान के अनुसार शक्ति का इस्तेमाल नहीं
सिब्बल ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सीजेआई के कार्यालय के कामकाज की ओर इशारा करते हुए स्वयं मानते हैं कि न्यायपालिका की आजादी खतरे में है तो क्या राष्ट्र कोइ इसके खिलाफ खड़ा नहीं होना चाहिए। वरिष्ठ न्यायाधीशों के दो हालिया वक्तव्यों ने यह भी बताया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने संविधान के अनुसार शक्ति का प्रयोग नहीं किया है।
- मर्यादा का उलंघन
उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के पद पर बैठने वाले किसी भी व्यक्ति को अखंडता के उच्चतम मानकों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। हम मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को हटाने की मांग करते हुए एक महाभियोग लाए हैं। सिब्बल ने कहा कि CJI ने मर्यादा का उल्लंघन किया है। सिब्बल ने कहा कि लोकतंत्र केवल तब ही कामयाब हो सकता है जब न्यायपालिका मजबूत हो, कार्यकारी से स्वतंत्र हो, और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निर्वहन करता हो।
सिब्बल ने कहा कि पाँच आरोप लगाए हैं जिससे साफ़ हो जाता है कि प्रधान न्यायाधीश जी ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। जिसमें उनके पद के दुरुपयोग, प्रशासनिक फैसलों से नाराजगी, मर्याद का उल्लंघन शामिल है। सिब्बल ने कहा किजब मुख्य न्यायाधीश अधिवक्ता थे तब एक ज़मीन के सम्बंध में उन्होंने झूठा हलफनामा दिया था।