आज एक बार फिर अन्तर्राष्ट्रीय स्टार पर पकिस्तान की किरकिरी हो गयी. कुलभूषण जाधव के मामले पर भारत को बड़ी जीत हासिल हुई है. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कहा, वियना समझौते के मुताबिक जाधव को काउंसलर एक्सेस मिलना चाहिए . हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अंतिम फैसला सुनाए जाने तक जाधव की फांसी पर रोक लगाए रखने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि अंतिम फैसले तक पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को फांसी नहीं दे सकता है. इसके साथ ही पाकिस्तान ने जो कैमरे पर जाधव के जो कथित कबूलनामे की बात कही थी, कोर्ट ने उसे भी नहीं माना.
पाकिस्तान की अपील हुई खारिज
अबी तक पकिस्तान की दलील ये थी कि पाकिस्तान चाहता था कि वियना संधि को खारिज करके कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई जाए. लेकिन अदालत ने यह माना है कि जाधव की जान को खतरा है. अदालत ने कहा कि पाकिस्तान ने अभी इस मामले में कोई प्रतिबद्धता जाहिर नहीं की है. जस्टिस रोनी अब्राहम ने कहा, अभी यह साफ नहीं हुआ है कि कुलभूषण जाधव एक आतंकवादी हैं. इसलिए उन्हें काउंसलर एक्सेस मिलना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की यह बड़ी कूटनीतिक जीत है. वहीं कोर्ट ने भारत को कुलभूषण जाधव तक पहुंच पर पाकिस्तान को बाध्यकारी नहीं माना. दोनों देशों पर किए गए दावों पर कोर्ट ने गौर किया. यह दिखता है कि जाधव के पास 40 दिन हैं, फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए, यह पाकिस्तान का कानून है. लेकिन जाधव ने ऐसा नहीं किया. जाधव के परिवार ने ऐसा किया है.
भारत ने पेश की ये दलीलें
जाधव के पक्ष में भारत की और से ये दलीलें पेश की गयी कि जाधव को काउंसेलर एक्सेस नहीं देना साफ तौर पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है व अंतरराष्ट्रीय कानूनों, मानवाधिकारों का पाकिस्तान ने पालन नहीं किया. जाधव को मौत की सज़ा सुनाने के बाद केस में सहयोग मांगा जा रहा था. पकिस्तान ने FIR में उसे भारतीय बताया गया पर हाई कमीशन के अधिकारियों से मिलने नहीं दिया गया. इसके साथ ही भारत से लगातार ये चिंता भी जताई जा रही थी कि इस केस की सुनवाई खत्म होने के पहले ही उसे सज़ा ना दे दी जाए इसलिए भारत की मांग थी कि फौरन जाधव की सजा को रद्द किया जाए.