कर्नाटक में जारी सियासी संग्राम थमता नहीं दिख रहा है। एक ओर बीजेपी सरकार बनाने का दावा कर रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस भी मुकाबले में डटी हुई है। बीजेपी को चुनाव में सबसे ज्यादा 104 सीटें आईं, हालांकि बहुमत के लिए 112 सीटों की जरूरत थी। बीजेपी अपनी रणनीति बनाती इससे पहले ही कांग्रेस ने जेडीएस को बिना शर्त समर्थन का ऐलान कर दिया। कांग्रेस के इस फैसले में अहम योगदान बीएसपी सुप्रीमो मायावती का माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक जैसे ही चुनाव नतीजों में त्रिशंकु विधानसभा की आहट दिखाई दी, मायावती किंगमेकर के तौर पर खुद आगे बढ़ी। आखिर उन्होंने कैसे जीत के बावजूद बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया, पढ़िए आगे।
जब सोनिया को किया फोन-
कर्नाटक चुनाव के नतीजे जैसे ही सामने आए बीएसपी मुखिया मायावती ने समझ लिया कि प्रदेश की जनता ने किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने तुरंत ही मोर्चा संभाला और एक किंगमेकर की तरह सबसे पहले सोनिया गांधी से बात की। इसके बाद उन्होंने जेडीएस के प्रमुख एचडी देवगौड़ा से बात की। मायावती की पूरी कोशिश यही थी कि दोनों पार्टियों के बड़े नेता बीती बातें भूलकर एक साथ आ जाएं।
देवगौड़ा ससे बातचीत-
कर्नाटक चुनाव के नतीजों का जिक्र करते हुए मायावती ने सोनिया गांधी और एचडी देवगौड़ा को समझाया कि वो एक साथ आ जाएं और मिलकर सरकार बनाएं। कर्नाटक के नतीजे देखते हुए मायावती ने सबसे पहले राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ से बात की। अशोक सिद्धार्थ कर्नाटक बीएसपी के इंचार्ज हैं। मायावती ने अशोक सिद्धार्थ से कहा कि वो कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से जितनी जल्दी हो मुलाकात करें, इस बारे में समझाएं कि त्रिशंकु विधानसभा की सूरत में कांग्रेस जेडीएस एक साथ आ जाएं।
कांग्रेस ने लिया जेडीएस के साथ जाने का फैसला-
बीएसपी सुप्रीमो के इस योजना के बाद गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के लिए बात की। दूसरी ओर खुद मायावती ने सोनिया गांधी और एचडी देवगौड़ा से बात की। आखिरकार कांग्रेस ने जेडीएस का समर्थन करने का फैसला किया। इस तरह से मायावती ने कर्नाटक के पूरे सियासी समीकरण को बदल दिया।
चुनाव पूर्व गठबंधन-
बता दें कि बीएसपी ने इस बार के कर्नाटक चुनाव में जेडीएस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया था। चुनाव के दौरान मायावती ने जेडीएस नेताओं के साथ संयुक्त तौर पर रैली भी की। इसका असर भी इस चुनाव में दिखाई दिया। बहुजन समाज पार्टी ने प्रदेश की 20 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें उसे एक सीट पर जीत हासिल हुई।
जाहिर है की अब कर्णाटक पूरी तरह से फस गया है| अब देखना है की बीजेपी या जेडीएस किसकी सरकार वहां बनती है|