इस महीने केंद्र की मोदी सरकार को चार साल हो जाएंगे। इन चार सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग-अलग मीडिया माध्यमों में विज्ञापन और पब्लिसिटी में 4300 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। एक आरटीआई (सूचना के आधिकार) कार्यकर्ता ने सोमवार को यहां इस बात की जानकारी दी। मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने केंद्र सरकार के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन(BOC) से मोदी सरकार के कार्यालय में आने बाद से मीडिया में विज्ञापन और प्रचार पर खर्च की गई राशि के विवरण मांगा था। जिसमें खुलासा हुआ कि सरकार अबतक 4,343.26 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के मात्र नौ महीनों में ही विज्ञापन और प्रचार पर 953.54 करोड़ रुपये खर्च कर डाले थे।
2014-2015 में ये रहा आकड़ा-
बीओसी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में जून 2014 से अबतक हुए खर्च पर मुहैया कराई गई जानकारी में भारी भरकम खर्च का खुलासा हुआ है। विज्ञापनों पर सरकार द्वारा किए जा रहे भारी-भरकम खर्च के चलते सरकार अचोलनाओं से घिर गई थी। जिसके बाद सरकार ने साल 2017 में अपने इस खर्च में थोड़ी कमी की। फिर भी सरकार ने विज्ञापनों और प्रचार पर 308 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। जून 2014 से मार्च 2015 तक सरकार ने प्रिंट प्रचार पर 424.85 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 448.97 करोड़ रुपये और आउटडोर प्रचार पर 79.72 करोड़ रुपये खर्च किए। कुल मिलाकर यह राशि 953.54 करोड़ रुपये होती है।
2015-16 में रहा ये आकड़ा-
वित्त वर्ष 2015-2016 के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि सरकार ने इस मद में खर्च को बढ़ा दिया। प्रिंट मीडिया पर 510.69 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 541.99 करोड़ रुपये और आउटडोर प्रचार पर 118.43 करोड़ रुपये खर्च किए गए। कुल मिलाकर इस साल 1,171.11 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई। हालांकि वित्त वर्ष 2016-17 में सरकार ने प्रिंट मीडिया के खर्चे को तो कम कर दिया लेकिन ओवरऑल खर्च और बढ़ा दिया गया। प्रिंट मीडिया पर 463.38 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 613.78 करोड़ रुपये और आउटडोर प्रचार पर 185.99 करोड़ रुपये खर्च किए गए। कुल मिलाकर इस साल 1,263.15 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई।
2017-18 में ये रहा आकडा-
वित्त वर्ष 2017-18 में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 475.13 करोड़ रुपये और आउटडोर प्रचार पर 147.10 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस साल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर पहले साल की तुलना में खर्चे में काफी कमी देखी गई। इसका कारण सरकार को चारों ओर से हो रही अलोचनाओं को माना गया। आरटीआई के मुताबिक अप्रैल-दिसंबर 2017 में पहले नौ महीनों में सरकार ने प्रिंट माध्यम पर 333.23 करोड़ रुपये खर्च किए और पूरे वित्त वर्ष (अप्रैल 2017-मार्च 2018) खत्म होते होते यह राशि कुल 955.46 करोड़ रुपये तक पहुची|