समाजवादी पार्टी के झगड़े में रामगोपाल यादव का नाम बहुत आ रहा हैं. मुलायम सिंह ने बहुत बार रामगोपाल यादव को सपा के झगड़े की वजह भी बताया हैं. लेकिन बुधवार को नेताजी ने रामगोपाल यादव के बेटा बहु के सीबीआई के जाँच के घेरे में होने की बात कह कर सनसनी फैला दी. मुलायम सिंह यादव ने यह भी कहा कि रामगोपाल चार बार भाजपा के शीर्ष नेता से मिल चुकें और सपा को तोड़ने की साजिश के पीछे भाजपा की शह पर रामगोपाल यादव काम कर रहे हैं.
आपको याद दिला दें कि एक सरकारी इंजिनियर यादव सिंह के पास आय से अधिक सम्पति पायी गयी थी. जिसके चलते उन पर सीबीआई जाँच भी बिठाई गयी. रामगोपाल यादव के बेटा व बहु इन्ही यादव सिंह के नजदीकी बताये जाते हैं. हालाँकि सीबीआई के सूत्रों ने रामगोपाल यादव के परिवार के किसी भी सदस्य के सीबीआई जाँच में न आने की बात कही हैं. सीबीआई को देश की शीर्ष अदालत ने भी सत्ताधारी दल का तोता बता चुके हैं. ऐसे मेंये सवाल उठना लाजमी है कि कहीं मुलायम सिंह यादव सच तो नहीं बोल रहे. ऐसा भी हो सकता कि सपा में विभाजन के बाद रामगोपाल के परिवार के लोगों के ऊपर से ये सीबीआई की जाँच की तलवार हट गयी हों ?
रामगोपाल यादव के पुत्र व पुत्रवधू पर ये आरोप लगे थे कि यादव सिंह के परिवार की बनाई कंपनी से रामगोपाल यादव के बेटे व बहु के नाम कुछ शेयर ट्रान्सफर हुए थे. इन आरोपों के आधार पर सीबीआई किसी को जाँच के घेरे में ले सकती हैं ऐसा जरूरी नहीं हैं. सपा की सत्तारूढ़ सरकार में रामगोपाल यादव सत्ता के महत्वपूर्ण बिंदु माने जाते थे. रामगोपाल यादव का प्रभाव केवल लखनऊ तक ही सीमित नहीं था. एनसीआर क्षेत्र में भी रामगोपाल यादव व उनके सांसद पुत्र अक्षय यादव के प्रभाव से सभी वाकिफ हैं.
यादव सिंह बसपा की सरकार के समय तत्कालीन सत्तारुद्ध दल के काफी करीब माने जाते थे. जिसके कारण समाजवादी पार्टी भी यादव सिंह को पसंद नहीं करती थी. सपा के रामगोपाल यादव पहले ऐसे नेता थे जो यादव सिंह के करीबियों में शामिल हुए. शायद इसी के चलते यादव सिंह पर बिठाई गयी सीबीसीआईडी जाँच को फाइनल रिपोर्ट लगा कर बंद कर दिया.
खैर रामगोपाल यादव पर लगे आरोपों में कितनी सच्चाई है ये सीबीआई की अधिक्रत बयान से ही पता कहेगा तब तक मुलायम सिंह ये अपनी बात कहकर कुछ हलचल तो जरुर मचा दी हैं.