उत्तर प्रदेश में सपा कांग्रेस का गठबंधन होने के बाद अब यूपी के लड़की यानि अखिलेश यादव और राहुल गाँधी ने साझा प्रेस कांफ्रेंस करके और रैली निकाल कर अपनी पक्की दोस्ती यूपी की जनता को दिखानी भी शुरू कर दी. लेकिन हमारे यहाँ पिताओं के अपने बेटे कुछ कम ही पसंद आते हैं. शायद इसलिए नेताजी ने समाजवादियों से कहा कि कांग्रेस को गठबंधन में मिलने वाली 105 सीटों पर सपा के उम्मीदवार नामांकन भरें.
रविवार को ही नेताजी ने सपा-कांग्रेस के गठजोड़ के खिलाफ कहा था कि मैं प्रचार नहीं करूंगा. सोमवार को मुलायम सिंह ने इस गठबंधन पर और कड़ा रुख अपना लिया और पार्टी कार्यकर्ताओं को कांग्रेस को मिली 105 सीटों पर नामांकन दाखिल करने को कह दिया. उन्होंने दोनों पार्टियों के बीच हुए गठबंधन को गलत बताते हुए कहा कि वो चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेंगे. मुलायम ने कहा कि यूपी में समाजवादी पार्टी इस गठबंधन के बगैर भी लड़कर जीत सकती थी.
मुलायम सिंह ने कहा कि वह अभी भी अखिलेश को इस गठबंधन के खिलाफ समझाने की कोशिश कर रहे हैं. मुलायम ने कहा कि ये एलायंस पार्टी को खत्म कर देगा. बीजेपी के बहुत से नेता सपा के नेताओं से प्रश्न पुच रहे हैं कि जिस कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ सपा की नीव रखी गयी थी उसी के साथ सपा ने कैसे हाथ मिला लिया. ये ही बात मुलायम सिंह यादव ने भी कही. नेताजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि मैंने जिंदगी भर सपा को कांग्रेस के खिलाफ लड़कर खड़ा किया और अब साथ जाने का कोई मतलब ही नहीं बनता.
सिर्फ सत्ता पाने के लिए गठबंधन
मुलायम सिंह यादव ने सपा व कांग्रेस के गठबंधन पर पर बड़ी बात ये कही कि अखिलेश ने केवल सत्ता हथियाने के लिए ये गठबंधन किया हैं. इस गठबंधन की पार्टी को कोई आवश्यता नहीं थी. मुलायम सिंह ने ये बाते लखनऊ से दिल्ली पहुँचने पर कही. मुलायम सिंह ने ये भी कहा, कांग्रेस ने लंबे समय तक देश पर शासन किया और इसे पीछे ले गई. हम हमेशा कांग्रेस के खिलाफ लड़े.
इस गठबंधन पर बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा है कि ‘दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए’ के छलावे की तर्ज पर इस प्रकार का गठबंधन अप्रत्यक्ष तौर पर गरीब, मजदूर, किसान विरोधी बीजेपी को फायदा पहुंचाने की साजिश है, जनता बहकावे में न आकर सतर्क रहे.
ऐसे ब्यान सुनकर यूपी की जनता इन चुनावो में सपा कांग्रेस के साथ से कही ज्यादा मायावती और मुलायम के विचारो की समानता देखकर हैरान हैं.