समाजवादी पार्टी की सुलह को सुलझाने की कोशिश में आजम कहाँ सहित वरिष्ठ पत्रकार भी लगे हैं लेकिन बाप बेटे का बिगड़ा रिश्ता सुलझने का नाम ही नहीं ले रहा हैं. नेताजी ने समाजवादी पार्टी की नीव रखी लेकिन उनके पुत्र ने खुद ही सपा का अधिवेशन बुलाकर खुद को समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया.
झगड़ा सुलझने के आसार नहीं
सपा के झगड़े को सुलझाने की कोशिशें व्यर्थ जाते नज़र आ रही हैं. हाल ही में मुलायम सिंह यादव इस सभी घटनाक्रम से इतने बोखला गए थे कि उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस बुलाने की घोषणा कर दी और फिर आनन फानन में उसे निरस्त भी कर दिया. सपा से जुड़े लोगों का कहना है कि नेताजी इस प्रेस कांफ्रेंस में अपने अलग प्रत्याशियों के नामों का एलान करना चाहते थे.
नेताजी ही हैं सपा के अध्यक्ष
जो होना हों वो तो होकर ही रहेगा. यही बात सपा की कलह पर भी लागू होती हैं. कल मुलायम सिंह ने दिल्ली में खुद के सपा के अध्यक्ष होने की बात को दोहराया और साथ ही ये भी जोड़ा कि अखिलेश सपा की और से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं इससे ज्यादा कुछ नहीं. नेता जी ने अपने व्यक्तव्य में यह भी कहा कि राम गोपाल सपा से निष्कासित किये जा चुके हैं ऐसे में उन्हें सपा का अधिवेशन बुलाने का कोई हक़ नहीं हैं. इससे ये भी साफ़ हो गया हैं कि सपा के अधिवेशन में लिए गये फैसले भी असंवेधानिक हैं.
अमर सिंह पर साधी चुप्पी
अखिलेश यादव अपने पिता से चाहते हैं कि वो अमर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दें. अमर सिंह भी ये कह चुके हैं कि अगर उनकी वजह से परिवार का झगड़ा सुलझ जाता हैं तो वो पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे. लेकिन मुलायम सिंह ने पूछे जाने पर भी इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं की.
आज मुलायम सिंह के पक्ष के लोगों के चुनाव आयोग पहुँच कर साइकिल चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोकने की सम्भावना हैं. यानि अब पिता व पुत्र आर पार की लडाई के लिए तैयार हैं. पहले अखिलेश ने अधिकतर लोगों का साथ होने की बात कही थी अब मुलायम सिंह यादव ने इस प्रेस कांफ्रेंस में ये साबित कर दिया कि सपा के मुखिया तो वे ही हैं.