गुजरात चुनाव नजदीक हैं लेकिन अभी तक वहां पे बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं की हैं और इसी वजह से वर्तमान विधायको को यह डर सता रहा हैं की कही उनका टिकट ना कट जाएँ और ये डर मोदी और अमित शाह के टेस्ट फार्मूले की वजह से हैं | इसके तहत कई विधायकों के टिकट काटे जाने की बात है। हालांकि कुछ विधायकों को यह भी उम्मीद है कि राज्य के नए राजनीतिक समीकरण दल-बदल से बचने के लिए हाई कमान को शायद ऐसा कोई कदम उठाने से रोक दें।
पिछले चुनाव में भी किया था ऐसा –
आपको बता दें कि साल 2007 में मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने 47 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया था। हालांकि 2012 में टिकट कटौती की सख्या में कमी आई थी। 2012 में सिर्फ 30 विधायकों के ही टिकट कटे थे। इससे पहले साल 2002 में जब मोदी पहली बार मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी की अगुवाई की थी तो उस वक्त बीजेपी के 121 मौजूदा विधायकों में से 18 का टिकट काटा गया था। बात साल 2012 की करें तो उस वक्त केशुभाई पटेल बीजेपी के लिए खतरा बनते दिख रहे थे इसलिए संतुलन बनाए रखने के लिए 30 विधायकों का टिकट काटा गया था।
चुकि अब केशुभाई पटेल भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरा नहीं हैं लेकिन हार्दिक पटेल सामने हैं। ऐसा माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनेंगे। हार्दिक के कांग्रेस का समर्थन करने की पूरी संभावना है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भी वह बीजेपी को तो किसी सूरत में नहीं समर्थन करेंगे। हार्दिक पटेल के साथ बातचीत किसी नतीजे पर पहुंच जाने के बाद ही कांग्रेस अपने उम्मीदवारों का ऐलान करेगी।
उसके पास पहले से ही ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर और दलित नेता जिग्नेश मेवानी का समर्थन है। ठाकुर ने अपनी इकाई का विलय कांग्रेस के साथ कर लिया है। चूंकि ठाकुर और हार्दिक के बीच हितों का टकराव है, लिहाजा अगर हार्दिक कांग्रेस से हाथ मिलाते हैं, तो पार्टी को कुछ चुनाव क्षेत्रों में टिकट बंटवारे के लिए आम-सहमति बनानी होगी, खासतौर से वैसी सीटों पर जहां दोनों पक्षों को अपने लिए बेहतर संभावना नजर आती है।
जाहिर हैं की यूपी चुनावों में भी बेजीपे ने ऐसा किया था और उन विधायको को लिस्ट से हटा दिया था जिनकी छवि जनता के बीच खराब चल रही थी जिसकी वजह से गुजरात के वर्तमान विधायक भी डरे हुए हैं और अपना टिकट बचाने में लगे हैं | अगर ऐसा होता हैं तो बीजेपी को कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला क्योकि गुजरात चुनावों में जनता केंद्र सरकार में बैठे मोदी के वादों को देखते हुए बीजेपी को वोट करेगी , लेकिन बीजेपी का ये फार्मूला जरूर मार्किट में नया हैं |