परिवारवाद का हवाला देकर आज तक मायावती , यादव परिवार को हमेशा से ही घेरती नजर आई हैंलेकिन इस बार वो खुद इसमें फंस चुकी हैं और उनकी पोल खुल चुकी हैं | मायावती ने कई सारी बसपा के नामी नेताओं के रिश्तेदारों , भाई , बेटो को टिकट दी हैं | जानिये कैसे दे रही हैं टिकट |
पूर्व मंत्री व उनका बेटा दोनों उम्मीदवार –
बहुजन समाज पार्टी की पिछली सरकार में मंत्री रहे हाजी मोहम्मद याकूब को बीएसपी ने मेरठ दक्षिण से उम्मीदवार बनाया है, वहीं उनके बेटे मोहम्मद इमरान को उसी जिले की सरधना सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। ये चुनाव मोहम्मद इमरान का पहला चुनाव है। मोहम्मद याकूब 2014 का लोकसभा चुनाव मुरादाबाद से हार गए थे।
जहाँ दोनों भाईयो को मिला टिकट –
वर्तमान बीएसपी विधायक और पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय हाथरस जिले की सादाबाद सीट वो पांचवीं बार अपने नाम करने की कोशिश में हैं। वहीं उनके भाई मुकुल उपाध्याय को भी बीएसपी ने टिकट दिया है। मुकुल उपाध्याय को बुलंदशहर के शिकारपुर सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। मुकुल उपाध्याय, पिछले साल जनवरी तक बीएसपी एमएलसी थे।
सांसद पुत्र को टिकट –
राज्यसभा सांसद वीर सिंह के बेटे विवेक सिंह को भी बीएसपी ने चुनाव मैदान में उतारा है। विवेक सिंह का ये पहला चुनाव है उन्हें बिजनौर के आरक्षित नटहौर सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। बता दें कि वीर सिंह पश्चिमी यूपी में पार्टी के वरिष्ठ दलित नेता हैं।
पार्टी के पूर्व विधायक की पत्नी को भी –
बीएसपी के जोनल कोऑर्डिनेटर और पूर्व विधायक गिरीश चंद्र जाटव की पत्नी विरमावती को बीएसपी ने चंदौसी से चुनाव मैदान में उतारा है, ये संभल की आरक्षित विधानसभा सीट है। गिरीश चंद्र जाटव 2007 में बीएसपी विधायक थे लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बुलंदशहर से उतारा गया लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। फिलहाल वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद डिविजन से बीएसपी के कोऑर्डिनेटर हैं।
ऐसे ही पूर्व सांसद कादिर राणा की पत्नी सैय्यदा बेगम को और उन्ही के भाई नूर सलीम को टिकट , और पूर्व राज्यसभा सांसद राजपाल सिंह सैनी के बेटे शिवन सिंह सैनी को टिकट , बीएसपी विधायक मुसर्रत अली ‘बिट्टन’ के साथ-साथ उनके भाई अरशद अली को भी टिकट | अब देखना होगा की बीएसपी का ये परिवारवाद उसे कहा तक जीत दिलाता हैं