हाल ही में मिली ताजा खबर के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया हैं इसके बाद तब से लगातार वो चर्चा में बने हुए हैं |
इस्तीफे के बाद क्या बोले नितीश –
नीतीश कुमार ने कहा कि अब काम करना दूभर हो रहा था, हम कुछ भी काम करें, लेकिन चर्चा एक ही चीज की हो रही है। हमने गठबंधन धर्म का पालन किया। कोशिश की, कि कोई रास्ता निकल जाए। हमने राहुल जी से भी बातचीत की और बिहार में कांग्रेस के नेताओं से भी बात की, लेकिन कोई रास्ता निकलता नहीं दिखा। हमारी आरजेडी और लालू जी के साथ बातचीत की। नीतीश कुमार ने इस्तीफे के बाद कहा कि तेजस्वी यादव को आरोपों का उत्तर देना चाहिए था, अगर उसको स्पष्ट कर देते तो हमें भी एक आधार मिलता, लेकिन हमें ऐसा लगा कि जवाब देने की कोशिश नहीं हो रही है। जब चला सकते थे चला दिया, लेकिन अब मुझे लगा कि यह मेरे काम करने के लिए तरीके के अनुरूप नहीं है। नीतीश कुमार ने आगे कहा कि आप ही सोचिए नोटबंदी का मसला आया, हमने समर्थन कर दिया। आप भी जानते हैं कि हम पर क्या आरोप लगे। हमने नोटबंदी के बाद हमेशा बेनामी संपत्ति पर चोट की भी मांग की। मैं हमेशा कहता रहा हूं कि गलत तरीके से संपत्ति अर्जित करना, आखिर ये क्या प्रवृत्ति है। मेरा तो हमेशा यह कहना है कि कफन में कोई जेब नहीं होती है। लोकतंत्र, लोकलाज से चलता है।
जानिये क्या हैं बिहार हैं गणित
बिहार विधानसभा का गणित बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों में राजद के 81 विधायक हैं, जबकि, जदयू के 70 और कांग्रेस के 27 सदस्य हैं। तीनों दलों को मिला कर विधायकों की संख्या 178 हो जाती है। सरकार को बने रहने के लिए मात्र 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। अगर नीतीश आरजेडी से नाता तोड़कर एनडीए में जाते हैं तो कांग्रेस के 27 विधायक भी सरकार से हट जाएंगे। ऐसे में नीतीश को सरकार बचाने के लिए 51 और विधायकों की जरूरत होगी। विधानसभा में बीजेपी के पास 53 विधायक हैं । अगर नीतीश के साथ आ जाए तो नीतीश की सरकार को कोई खतरा नहीं है।