12 साल तक के बच्चों से बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा होगी। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। शनिवार को प्रधानमंत्री आवास पर केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। अब सरकार जल्द ही अध्यादेश लेकर आएगी जिससे पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) एक्ट में संशोधन किया जा सके। इस संशोधन के मंजूर होते ही 12 साल तक उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। पॉक्सो कानून के मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक बच्ची से रेप पर अधिकतम सजा उम्रकैद है।
विदेश से लौटते ही लिया फैसला-
आपको बता दें कि शनिवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच दिन के विदेश दौरे से लौटे हैं। विदेश दौरे से लौटते ही उन्होंने शनिवार 11.30 बजे केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाई और इस अध्यादेश पर चर्चा की। कैबिनेट की बैठक के एक दिन पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के जवाब में एक पत्र देकर कहा था कि वह पॉक्सो एक्ट में संशोधन करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है, जिसके तहत 12 साल से कम की बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए फांसी की सजा का प्रावधान होगा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
उन्नाव और कठुआ से पूरा देश गरमाया-
जानकारी के मुताबिक सरकार उत्तर प्रदेश के उन्नाव और जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ में नाबालिग से रेप के बाद देश में भड़के गुस्से के चलते सरकार यह अध्यादेश ला रही है। इससे पहले दिसंबर, 2012 में हुए निर्भया केस के बाद आपराधिक कानून में बदलाव किए गए थे। इसमें महिला की मृत्यु या मरणासन्न अवस्था में पहुंचने पर ही फांसी का प्रावधान था। गौरतलब है कि केंद्र सरकार का यह पक्ष पहले से बिल्कुल उलट है। सरकार ने इन मामलों में फांसी की सजा के प्रावधान का विरोध किया था। सरकार ने कहा था कि हम समस्या का समाधान फांसी की सजा नहीं है।
हर 15 मिनट में एक यौन अपराध-
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन क्राई (चाइल्ड राइट्स एंड यू) के मुताबिक भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चा यौन अपराध का शिकार बनता है और पिछले 10 सालों में नाबालिगों के खिलाफ अपराध में 500 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया कि बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध के मामलों में से 50 प्रतिशत से भी ज्यादा महज पांच राज्यों में दर्ज किए गए। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इसमें कहा गया, “पिछले 10 सालों में नाबालिगों के खिलाफ अपराध में 500 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई और 2016 में 1,06,958 मामले सामने आए जबकि 2006 में यह संख्या 18,967 थी।”