सरकार द्वारा बच्चों को स्कूल में दिए जाने वाले मिड डे मील पर भी अब कड़ी नज़र रखी जाने की कोशिशें हो रही हैं. सरकार ने मिड डे मील स्कीम के लिए आधार जरूरी कर दिया है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस विषय पर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया हैं. इस नोटिफिकेशन के अनुसार मिड डे मील के फायदे के लिए आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य होगा और इसके लिए 30 जून तक का वक्त दिया है. इस तारीख के बाद भी अगर किसी बच्चे का आधार नंबर नहीं है तो उसके अभिभावक को आधार रजिस्ट्रेशन स्लिप दिखानी होगी ताकि पता चल सके कि आधार नंबर के लिए आवेदन किया गया है.
आधार कार्ड को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में अस्तित्व में लाया गया था. उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधार कार्ड पर व उसकी उपयोगिता पर सवाल उठायें थे. लेकिन अब जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद पर हैं इसी आधार कार्ड को सभी सरकारी सुविधा लेने के लिए अनिवार्य किया जा रहा हैं. मिड डे मील से देश में 12 लाख स्कूलों के 12 करोड़ बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है. इस योजना पर सरकार सालाना करीब साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये खर्च करती है. आठवीं तक के बच्चों को इस योजना के तहत खाना मिलता है.
आधार कार्ड को इस योजना से जोड़ने के पीछे सरकार की मंशा ये हैं कि एस अकेरने से मिड डे मील में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने में सहायता मिलेगी. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मिड डे मील जैसी योजना में आधार को जरूरी बनाना बहुत गलत है, क्योंकि इससे देश के बहुत गरीब और जरूरतमंद बच्चे इसके फायदे से महरूम रह जाएंगे. कुछ लोगों ने आधार कार्ड की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठायें हैं. ऐसे लोगों का कहना हैं कि आधार कार्ड पर आये फिंगर प्रिंट्स में खामियां पाए गयी हैं.
एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने कहा कि मिड डे मील की योजना जहाँ स्कूल व लोगों की भागेदारी से चल रहे हैं वहां गड़बड़ होने की संभावनाएं कम हैं. अगर सरकार इस योजना में फर्जीवाड़ा करने वालो को रोकना चाहती हैं तो उसे दुसरे कदम उठाने चाहिए. मिड डे मील जैसी योजनाओं से विशेषकर गरीब तबके के बच्चे स्कूल की और आकर्षित होते हैं.
केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं सरकार ने मिड डे मील स्कीम के तहत काम करने वाले रसोइयों के लिए भी आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है.