ऐसा लगता है की देश में मूर्ती तोड़ो प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई और एक के बाद एक मूर्तियाँ तोड़ने की खबरे देशभर से आ रही है | कल त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ती गिराने के बाद ताजा मामला पश्चिम बंगाल से सामने आया है। मंगलवार रात को कोलकाता में कुछ लोगों ने जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति पर कालिख पोत दी और उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। यह घटना त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति गिराने जाने की प्रतिक्रिया है। पुलिस के मुताबिक जादवपुर विवि के वामपंथी छात्र संघ के छात्रों ने इस घटना को अंजाम दिया है। दक्षिण कोलकाता में केउरातला इलाके में एक पार्क में लगी श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति पर कुछ अज्ञात लोगों ने कालिक लगा दी थी। सुबह जब इसकी सूचना पुलिस को लगी तो पुलिस और प्रशासन से जुड़े कई अधिकारी मौके पर पहुंच गए और मूर्ति को तुरंत साफ किया गया।
छात्रो में लगा मूर्ती तोड़ने का आरोप –
इस घटना में जाधवपुर यूनिवर्सिटी के 6 छात्रों पर मूर्ति तोड़ने का आरोप है, जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किए गए छात्रों में 5 छात्र, जबकि एक छात्रा है। बताया जा रहा है कि मूर्ति तोड़ने के बाद वहां लगाए गए पोस्टर में लिखा गया कि यह लेनिन की मूर्ति तोड़ने का बदला है। पश्चिम बंगाल बीजेपी ने इस घटना की निंदा की है। कोलकाता बीजेपी महासचिव सयंतन बासु ने कहा कि, जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति पर कालिख पोतने की घटना के वह घोर निंदा करते है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं बंगाल के भाजपा प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि, श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक देशभक्त हैं जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन जिया। वह पश्चिम बंगाल का बेटा हैं। उन अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उन लोगों को दंड देना चाहिए जिन्होंने अपनी मूर्ति को तोड़ा है। हम इस घटना की निंदा करते हैं। तो पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री सोबनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि, गुंडागर्दी का जवाब ऐसी ही किसी दूसरी घटना से हीं दिया जा सकता। हम दोनों ही घटनाओं की निंदा करते हैं। हमने 6 लोगों को गिरफ्तार किया है और हम श्यामा प्रसाद जी की प्रतिमा को ठीक करवाएंगे
कल तोड़ी गी थी लेनिन की मूर्ती –
आपको बता दे की त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार आते ही लेनिन की मूर्ती तोड़ दी गई थी और इसका जिम्मेदार बीजेपी कार्यकर्ताओ को बताया गया था | जाहिर है की मूर्ती तोड़ने के बाद सूबे में काफी तनाव और हिंसा फ़ैल गई थी जिससे वहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रखी गई थी | लेनिन की मूर्ती तोड़ने के बाद बीजेपी के कई सारे नेताओं की प्रतिक्रिया आई थी जिसमे कहा गया की हमें लेनिन की नहीं विवेकानंद की मूर्ती चाहिए |