कांग्रेस ने नोट बंदी का ऐलान होते ही विरोध करना शुरू कर दिया था. हालाँकि शुरुआत में ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल ने जितने कड़े शब्दों का इस्तमाल किया कांग्रेस उतना मुखर विरोध नहीं कर पायी. समय समय कांग्रेस ने इस विषय पर अपनी बात रखी. राज्यसभा में मनमोहन सिंह द्वारा दिए गया भाषण को कांग्रेस की इसी कूटनीति का हिस्सा था.
इसी क्रम में आज एक महीने बाद देश के पूर्व वित्त मंत्री और अर्थशास्त्री पी चिदंबरम ने प्रेस कांफ्रेंस करके केन्द्र सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि नोटबंदी मोदी सरकार का सबसे बड़ा घोटाला है. पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार से 3 बड़े सवाल पूछे.
- नोटबंदी के बाद आम लोगों को करेंसी न मिलने के बावजूद कैसे लोगों के पास लाखों-करोड़ों की संख्या में 2000 के नए नोट हैं.
केंद्र सरकार ने ये नियम लागू किया था कि देशभर में एटीएम के जरिए 2500 रुपये निकाल सकते है. बैंक में लाइन लगाकर एक महीने में सिर्फ 24,000 रुपये निकाले जा सकते हैं. वहीं बैंक में सिर्फ 4000 रुपये की पुरानी करेंसी बदलकर नई करेंसी लेने का प्रावधान किया गया था. लेकिन आयकर विभाग छापेमारी में करोड़ो की नयी करेंसी पकड़ रहा है. ऐसा कैसे संभव हो पाया?
- अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल करने वाले इस कदम का लक्ष्य क्या है ?
पहले सरकार ने कहा था कि इस कदम से कालेधन पर लगाम लगाने के साथ ही आतंकी सगंठन भी कंगाल हो जायेंगे. अब सरकार कैशलेस इकॉनमी की बात कर रही है. आखिर किस उद्देश्य के लिए नोटबंदी की गयी.
- बिना सुविधा की कैसी कैशलेस इकॉनमी ?
चिदंबरम ने कहा कि पुरे देश में 100 प्रतिशत साक्षरता नहीं है, तो कैसे लोग इस कैशलेस इकॉनमी को समझेंगे. ना बिजली और इन्टरनेट जैसी सुविधाएँ है, सरकार बिना बेसिक सुविधा के कैशलेस इकॉनमी बनायेगी.
इसके साथ ही आपको ये भी बताते चलें कि दुनिया के किसी देश में 100% कैशलेस इकॉनमी नहीं है. भारत में भी ये संभव नहीं है.