उत्तर प्रदेश की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए समाजवादी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभानाएं प्रबल होती दिख रही हैं. अखिलेश यादव बहुत बार कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के पक्ष में बयान भी दें चुके हैं. अखिलेश यादव ने एक बयान में ये भी कहा था की अगर सपा और कांग्रेस साथ में चुनाव लड़ते हैं तो इस गठबंधन का 300 से अधिक सीट जीतना तय हैं. हालाँकि मुलायम सिंह यादव कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं दिख रहे थे, लेकिन अब जब अधिकतर सपा कार्यकर्ताओं का समर्थन अखिलेश यादव के साथ हैं तो इस गठबंधन के होने के आसार भी बनते दिख रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी फूट से पहले सपा उत्तर प्रदेश में बिछी चुनावों की बिसात को जीतती दिख रही थी. अभी भी उत्तर प्रदेश की जनता के पसंदीदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही हैं. लेकिन यदि सपा के दोनों धड़े आपस में समझोता नहीं बना पाते और एक ही सीट से दोनों धड़ो ने अपने प्रत्याशी उतारें तो सपा का नुक्सान तय हैं. अब जबकि अखिलेश यादव को अधिक समर्थकों का साथ मिल रहा हैं तो कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में अपने लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं.
अभी कांग्रेस से इस विषय पर कुछ स्पष्ट बयान नहीं आया हैं. एक और कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित ने अपने बयान में सपा के साथ तालमेल की हिमायत की वहीँ दुसरी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाब नबी आज़ाद ने कहा कि अभी तो वह प्रदेश विधानसभा की सभी 403 सीटों पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन आगे कब क्या होगा यह तो बाद में पता लगेगा.
दोनों ही दल भाजपा को यूपी चुनाव में जीतने नहीं देना चाहते. इसलिए ते गठबंधन दोनों ही दलों की मजबूरी भी हैं और जरूरत भी. सपा में विभाजन तथा अखिलेश और मुलायम के अलग होने के बाद अखिलेश वाले धड़े के साथ कांग्रेस के गठबंधन की प्रबल संभावना है. इसी विषय पर ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि अखिलेश अगले हफ्ते कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी से इस विषय पर मुलाकात भी कर सकते हैं.
हालाँकि अभी भी सपा में सुलह की कोशिशें चल रही हैं. यदि पिता पुत्र में सुलह हो जाती हैं तो कांग्रेस के साथ सपा के ताल मेल का क्या होगा ये देखना भी दिलचस्प होगा.