प्रियंका गांधी को लेकर आजकल विरोधी खेमें के नेता तरह तरह के बयान दें कर चर्चित होने की कोशिश कर रहें हैं. लेकिन एक बात सत्य हैं कि प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम कांग्रेसियों की जुबान पर केवल चुनाव के दिनों में ही आता हैं. पिछले विधानसभा चुनावों में प्रियंका गाँधी वाड्रा ने केवल रायबरेली और अमेठी में चुनाव प्रचार किया था लेकिन इस बार कांग्रेस ने प्रियंका को अपनी स्टार प्रचारक बनाया हैं.
प्रियंका गंध वाड्रा का नाम स्टार प्रचारक की लिस्ट में सबसे शीर्ष पर होने के बाद भी प्रियंका गाँधी वाड्रा पश्चिम यूपी के चुनाव प्रचार से गायब ही हैं. अभी तक पश्चिमी यूपी का मतदाता प्रियंका गाँधी की एक भी रैली नहीं देख पाया हैं. 11 फरवरी को पश्चिमी यूपी में चुनाव हैं. अखिलेश व राहुल जहाँ लगातार जनसभाओं में शिरकत कर रहे हैं वहीँ प्रियंका कहीं दिखाई ही नहीं दे रही हैं.
अब ऐसा लेग रहा हैं कि पार्टी की योजना प्रियंका को पहले व दुसरे चरण के चुनाव प्रचार से दूर रखकर, बाद में चुनावी मैदान में प्रचार के लिए उतारने की हैं. कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने प्रियंका गाँधी को अपना पूरा ध्यान पूर्वी उत्तर प्रदेश पे केन्द्रित करने के लिए कहा हैं. प्रियंका गाँधी भी पिछले दो दशकों से रायबरेली और अमेठी में ही सक्रिय हैं.
यहाँ सपा चाहती हैं कि प्रियंका गाँधी डिम्पल यादव के साथ चुनावी रैलियों में भाग लें. इसके पीछे का कारण यह हैं कि भले ही चुनावी रैलियों में अखिलेश यादव व राहुल गाँधी साथ में दिख रहे हों और ये जताने की कोशिश कर रहे हो कि सपा कांग्रेस समन्वय कितना मधुर हैं लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही हैं. सपा व कांग्रेस के कार्यकर्त्ता साथ में कम ही आ रहे हैं. दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं की भी साथ में रैलियों की रुपरेखा भी अभी अंतिम चरण तक नहीं पहुँची हैं. ऐसे में अगर डिंपल यादव व प्रियंका गाँधी साथ में साझा रैली को संबोधित करेंगी तो दोनों ही पार्टियों के आम कार्यकर्ताओं में साथ मिलकर काम करने का सन्देश जाएगा. हालाँकि अभी तक इस प्लान को भी अंतीं रूप नहीं दिया जा सका हैं.
लेकिन ये बात लगभग तय हैं कि प्रियंका गाँधी वाड्रा अमेठी, रायबरेली व पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ चुनिन्दा हिस्सों में चुनाव प्रचार करेंगी.