उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत के बाद से ही मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अलग अलग तरह की चर्चा चल रही थी. कभी रहनाथ सिंह और कभी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का नाम सामने आ रहा था. आज प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम फाइनल होना तय ही था लेकिन असली हलचल तब मची जब गोरखपुर से सांसंद व भाजपा की हिंदूवादी छवि रखने वाले नेता योगी आदित्यनाथ को चार्टेड प्लेन से दिल्ली जाने की खबर आयी. तभी से योगी के प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के कयास लगाये जा रहे थे. और शाम होते होते ये कयास हकीकत में बदल भी गए.
बीजेपी विधायकों ने योगी आदित्यनाथ को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन चुके हैं. योगी की सहायता के लिए प्रदेश में दो उप मुख्यमंत्री भी होंगे. केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा को ये पद सौंपे गए हैं. योगी आदित्यनाथ ने सीएम की रेस में कई दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ा है.
ये रही योगी के मुख्यमंत्री बनने के पीछे की वजह
- योगी की हिंदूवादी छवि ने योगी को मुख्यमंत्री के पद तक पहुँचाने में बहुत मदद की. योगी आदित्यनाथ के अगर पुराने भाषणों को सुने तो हर बार योगी ने अपनी राजनीति में हिंदुत्व का एक सूत्रीय ऐजेंडा शामिल रखा हैं. पूर्वांचल में उन्होंने धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ी. इस कारन से योगी अधिकांश जनता के बीच में लोकप्रिय नेता बन गए.
- योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा सांसंद हैं और पूर्वांचल की राजनीती में काफी दखल भी रखते हैं. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लोकसभा सीट से 2014 में तीन लाख से भी अधिक सीटों से चुनाव जीते थे. पूर्वांचल की 60 से अधिक सीटों पर योगी आदित्यनाथ की पकड़ मानी जाती है. ये भी कारन रहा कि योगी को आसानी से सभी विधायकों ने समर्थन दे दिया.
- योगी की दबंग छवि को उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में काफी पसंद किया जाता था लेकिन कैराना से हिन्दू पलायन का मुद्दा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिन्दू व मुस्लिमों में पक्षपात की बात छेड़ कर योगी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता के भी प्रिय नेता बन गए थे.
- योगी आदित्यनाथ पांच बार के सांसद हैं व यूपी के मुख्यमंत्री पद के लिए उनके प्रतिद्वंदी केशव प्रसाद मौर्य व मनोज सिन्हा से अधिक योगी जनता के बीच जाने जाते हैं. आम जनता के लिए योगी एक जाना पहचाना नाम व चेहरा हैं. ये भी एक कारन रहा कि योगी को आसानी से यूपी का मुख्यमंत्री पद मिल गया.