नोट बंदी की तकलीफें खत्म होने का नाम लेती नहीं दिख रही और उत्तर प्रदेश में चुनाव दस्तक देने ही वालें हैं. सभी विपक्षी दल नोट बंदी को भाजपा के लिए आत्मघाती कदम मान रहें हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्षेत्रीय पार्टियों की स्थिति बहुत मजबूत रहती हैं. कांग्रेस इस राज्य में पिछले 27 वर्षों से सत्ता से दूर हैं और बीजेपी का भी कुछ अच्छा रिकॉर्ड नहीं हैं. इस बार के विधान सभा चुनावों भाजपा को पूरी उम्मीद थी कि उत्तर प्रदेश की नैया मोदी के सहारे पार लग जायेगी. लेकिन नोट बंदी के बाद बढ़ती मुसीबतों के चलते भाजपा का जनाधिकार खिसकता दिखाई दे रहा हैं.
RSS ने भी दी नसीहत
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को ये सलाह दी है कि या तो नोट बंदी के चलते आम लोगों को होने वाली परेशानी का जल्दी से जल्दी निदान हो जाना चाहिए नहीं तो यू पी के विधान सभा चुनावों की तारीख को आगे बढ़ाना ठीक होगा. ऐसे खबरें है कि भाजपा समर्थक भी अब नोट बंदी की तकलीफों से परेशान आ चुकें हैं. मध्यमवर्गीय लोग जो पहले इस फैसले के साथ थे अब परेशान होते दिख रहे हैं और उद्योग धंधो पर भी नोट बंदी का असर पड़ने लगा हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार RSS और बीजेपी के नेताओं ने बीते बुधवार लखनऊ में एक मीटिंग की थी, जिसमें इन बातों का जिक्र किया गया. साथ ही ये भी खा गया कि काला धन रखने वाले लोगों पर आयकर के कसते शिकंजे से जनता में ये सन्देश भी जा रहा है कि सरकार ईमानदारी से काम कर रहे हैं.
लालू के अनुसार कांग्रेस की नसबंदी जैसा हो जायेगा बीजेपी की नोटबंदी का हाल
अपने बयानों के लिए जाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने नोट बंदी पर आज ये टिप्पणी की. नोट बंदी के 40 दिन बाद लालू यादव ने आरजेडी की मीटिंग बुलाई. लालू ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए की गयी नोट बंदी को एक नाकाम कोशिश बताया. लालू प्रसाद यादव ने खा कि नोट बंदी फ़ैल साबित हो चुकी हैं. उन्होंने आज कुछ अर्थशात्रियों को भी बुलाया हैं जिनसे वे नोट बंदी के विषय में चर्चा करेंगे. लालू के सहयोगी और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश नोटबंदी ओ अपमा समर्थन पहले ही दें चुके हैं.