उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा हैं. वर्तमान में सत्ता पर काबिज सपा पार्टी के भीतर की कलह बहुत बार सार्वजनिक हो चुकी हैं. हालाँकि अब पिता, पुत्र और चाचा यानि मुलायम सिंह यादव, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव और शिवपाल यादव सार्वजनिक मंचों पर बहुत ही गर्म जोशी से मिलते हैं. लेकिन ये गर्म जोशी चुनाव की वजह से है या सबब कुछ ठीक हो गया है ? इसमें अभी संशय हैं.
पार्टी के भीतर चले इस सत्ता के खींच तान का सीधा असर सपा को वोट बैंक पर पड़ता दिखाई दे रहा हैं. इसी बीच सपा में दोबारा से सत्ता पाने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाने की बातें पिछले काफी दिनों से चल रही थी. इन बातों को कल अखिलेश यादव ने ये कहकर और हवा दे दी कि दोनों पार्टियों के बड़े नेता एक-दूसरे के संपर्क में हैं.
ये पहली बार था कि अखिलेश यादव ने इस बात की हामी भरी की भविष्य में सपा और कांग्रेस में गठबंधन हो सकता हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि इन दोनों पार्टियों के बीच संभावित गठबंधन के मसले पर चर्चा हो रही है. लोकसभा में इनके बीच इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई है.
ये है यूपी में कांग्रेस का हाल
पिछले 27 सैलून से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने सफलता नहीं प्राप्त की. इस बार कांग्रेस को ये लग रहा है की मोदी ने नोट बंदी का फैसला लें कर अपने पावों पर कुल्हाड़ी मार ली हैं और इस मौके का कांग्रेस पूरा फायदा उठाना चाह रही हैं. नोटबंदी के मसले पर भी सपा और कांग्रेस दोनों एक ही पाले में हैं.
वर्तमान में या है सपा की स्थति
पार्टी और परिवार के भीतर की कलह ने सपा को ही दो गुटों में बाँट दिया हैं. सपा में अभी जो सुलह दिख रही हैं वो बहुत हद तक चुनावों के कारण हैं और शयद मतदाता भी इस बात को समझ चूका हैं. मायावती की बहुजन समाज पार्टी अधिक संख्या में मुस्लिमों को टिकट देकर सपा का पारंपरिक वोटर अपने पाले में करने की कोशिश कर रही हैं. और मोदी के मैजिक का भी असर इन चुनावों में देखने को मिल सकता हैं.
भले ही अखिलेश यादव कहें कि उन्हें 403 में से 300 से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी, लेकिन ऐसा होता तो नहीं दिख रहा. हाँ दुसरी पार्टियों के लिए कांग्रेस और सपा का गठबंधन चिंता का विषय बन सकता हैं.