उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हो तो गया हैं लेकिन ये सफल कितना हो पायेगा इस पर अभी संशय बरकरार हैं. राजनितिक विशेलषकों की अगर माने तो इस गठबंधन के बाद उत्तर प्रदेश चुनाव त्रिशंकु परिणाम दें सकते हैं. और बसपा सरकार बनाने में मुख्य भूमिका निभा सकती हैं . आपको याद दिला दें कि बसपा पहले बीजेपी के साथ राज्य में सरकार बना चुकी हैं.
जानकारों का ऐसा भी मानना है कि गठबंधन होने के बावजूद अखिलेश यादव खुद नहीं चाहते कि कांग्रेस राज्य में बड़ी पार्टी के रूप में फिर से उभरें. इसका एक कारण यह भी है कि जिस मुस्लिम मतदाता को हम सपा का पारम्परिक वोट कहते हैं वो कांग्रेस से ही अलग होकर सपा के पाले में आया हैं.
प्रदेश में ये कांग्रेस की बुरी हालत को ही दिखता हैं कि कांग्रेस को केवल बहुत कोशिश करने के बाद मनचाही सीट मिल पाए हैं उसमें भी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली अमेठी और रायबरेली की सीट पर अभी स्थिति साफ़ नहीं हैं.
क्या कांग्रेस को मिलेगी अमेठी और रायबरेली
उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस का गठबंधन तो हो गया हैं लेकिन अभी भी कुछ सीटों पर कांग्रेस की राह में सपा ने रोड़े अटका रखे हैं. यूपी की रायबरेली और अमेठी की सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाते है. अगर यहीं से कांग्रेस चुनाव न लड़ी तो कांग्रेस के लिए ये शर्मनाक ही होगा. रायबरेली में 6 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमे से केवल एक पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया हैं. कांग्रेस ने बछरावां सीट से सुशील पासी को उतारा है. अन्य सीटों पर अभी संशय बना हुआ है.
अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि प्रियंका गाँधी ने अखिलेश यादव तक अपना मेसेज भिजवा दिया हैं. जिसमें प्रियंका गाँधी ने अखिलेश यादव को याद दिलाया है कि सपा के लिए कांग्रेस ने आजमगढ़, एटा, मैनपुरी, इटावा की सारी सीटें दे दीं, जो कि सपा का गढ़ माना जाता हैं. अब ऐसा ही प्रियंका गाँधी कांग्रेस के लिए रायबरेली के क्षेत्र से चाहती हैं. इस क्षेत्र में चुनाव पांचवे चरण में होंगे. ऐसे में शायद अगले कुछ दिनों में इस क्षेत्र में सीटों की स्थिति सपा व कांग्रेस के लिए साफ़ हो जायेगी.