जाने माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने उत्तर प्रदेश चुनावों में भाजपा के जीतने की आशंका जता कर विरोधी पार्टियों के लिए कुछ मुश्किल तो जरुर खडी कर दी हैं. राजदीप के अनुसार उत्तर प्रदेश में कोई लहर नहीं चल रही हैं लेकिन फिर भी भाजपा को मोदी नाम का लाभ जरुर मिलता दिखेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र के खिलाफ सपा कांग्रेस गठबंधन ने यूपी के लड़के vs. बाहरी का जो शिगूफा छोड़ा था वह बनारस में पीएम मोदी के रोड शो में उमड़े जन सैलाब को देखते हुए अब गलत रणनीति साबित होता दिख रहा हैं.
अखिलेश यादव का चुनावी नारा ‘काम बोलता हैं.’ उत्तर प्रदेश के सभी इलाकों के लिए नहीं हैं. लखनऊ में गोमती नदी के किनारे ‘यूपी शाइनिंग’ के नारों का झांसा तो चल सकता है लेकिन गोरखपुर के गांवों के अंधेरे को नजरअंदाज नहीं कर सकते. हद तो तब हो गयी जब अखिलेश यादव के काशी विश्वनाथ मंदिर पहुचने पर बिजली गुल हो गयी. हालाँकि बिजली 15 मिनट में आ तो गयी लेकिन अखिलेश बाबू के लिए सवाल छोड़ गयी.
देश में कहीं भी चुनाव हो विजेता का आंकलन चुनाव की तारीखों से पहले शुरू हो जाता हैं. आजकल यूपी में किसी भी पान या चाय की दूकान पर चुनावों और विजेता दल के ही चर्चे हैं. कुछ एक एग्जिट पोल भी आयें, किसी में सपा पहले नंबर की पार्टी बनी तो किसी ने भाजपा को जीतते हुए दिखाया लेकिन इन पर भी विश्वास करना भी आसान नहीं हैं. ऐसा इसलिए कि उत्तर प्रदेश की जनता किसी सीधे प्रश्न का सीधा जवाब कम ही देती हैं. अधिकतर लोगों का कहना हैं कि सभी दल व उनके प्रत्याशी अच्छा काम कर रहे हैं, वोट किसे देना हैं ये मतदान से एक दिन पहले ही सोचंगे.
कहीं कहीं जाति का फैक्टर भी हैं लेकिन पढ़े लिखे मतदाता व्यक्ति की जगह दल को ही वोट देते हैं. भाजपा के चुनाव प्रचार में हिन्दुत्व का बोलबाला रहा. रमजान में बिजली आने व दिवाली पर न आने की बात हो या लैपटॉप वितरण में असमानता उत्तर प्रदेश के हिन्दुओं को सपा का मुस्लिमों की ओर अधिक झुकाव दीखता हैं जिसे भाजपा नेताओं ने कैश कराने की पुरी कोशिश की हैं.
अभी किसी भी दल के जीतने या हारने की भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती लेकिन मुकाबला कड़ा होना तो तय हैं.