सपा में सुलह तो तय हैं लेकिन कब होगा ये सुलहनामा ?

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SP reconciliation would be sure but when

आज लग रहा था कि समाजवादी पार्टी में चल रहे दंगल का जल्द ही अंत होने वाला हैं. राजनितिक गलियारों में ये कयास लगाये जा रहे थे कि हफ़्तों से चल रहे बैठकों के विफल होने के बाद पिता व पुत्र जल्द ही साथ आ सकते हैं. मुलायम सिंह समाजवादी पार्टी में चल रहे द्वन्द में कभी चाचा भतीजे के बीच रेफरी की भूमिका निभाते दिखे तो अखिलेश यादव को पार्टी से निष्कासित करके हानिकारक बापू का खिताब पा गए. लेकिन अब भी ये खींच तान थमने वाली नहीं दिख रही हैं.

SP reconciliation would be sure but when

आज ही नेताजी ने अपने एक बयान से सबको चौंका दिया. मुलायम सिंह यादव ने अपने एक बयान में कहा कि समाजवादी पार्टी में अब कोई विवाद नहीं है और अखिलेश यादव ही पार्टी की ओर से अगले मुख्यमंत्री होंगे. इस बयान के सामने आने पर ऐसा भी लगने लगा था कि पिता मुलायम ने पुत्र अखिलेश यादव के सामने घुटने टेक दिए हों.

इससे पहले अखिलेश यादव के समर्थक व मुलायम सिंह यादव का खेमा दोनों ही साइकिल के चुनाव चिन्ह पर दावा ठोंक चूके हैं. आज मंगलवारको लखनऊ में पिता व पुत्र के बीच चली लगभग पौने दो घंटो की बैठक में मुलायम सिंह ने अखिलेश को ये भरोसा दिलाया कि सपा के जीतने की स्थिति में अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री का चेहरा बनेंगे. साथ ही मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को ये भी कहा कि अखिलेश सारी पॉवर अपने हाथ में रख सकते हैं. बस मुलायम सिंह को अपने लिए अध्यक्ष का पद चाहिए.

लेकिन अखिलेश मुलायम सिंह के सुलह के फार्मूले से सहमत नहीं हुए. अखिलेश यादव का मत था कि अगर नेता जी को अध्यक्ष पद दे दिया गया तो अमर सिंह फिर से नेता जी से कोई भी फैसला आसानी से करा सकते हैं. मुलायम सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर अपना दावा पहले ही कर चुकें हैं लेकिन अधिकतर विधायकों का समर्थन अखिलेश यादव के साथ हैं. अखिलेश केवल तीन महीनो के लिए सभी अधिकार अपने हाथ में लेना कहते हैं लेकिन नेता जी इस फोर्मुले से सहमत नहीं हैं.

समाजवादी पार्टी के नेता व समर्थक इस बात को जानते है कि अगर ये समझोता नहीं हुआ तो सपा की हार तय हैं. ऐसे में ये तो तय हैं कि सपा में सुलह होनी ही हैं बस ये सुलह कब होगी ये देखने की बात हैं.

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