भारत में आयें दिन शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले सामने आते रहते है. ऐसे मामलों को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आज एक आदेश दिया है. जिसके अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राज्यमार्गों पर शराब की दुकानों को बंद कर दिया जायेगा. ये फैसला सीजेआई टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया है.
हालांकि कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि जिनके पास अभी शराब बिक्री के लाइसेंस हैं, वह 31 मार्च 2017 तक इस तरह की दुकानें चला सकेंगे. इसका मतलब यह हुआ कि अगले साल 1 अप्रैल से हाईवे पर शराब की कोई दुकान नहीं होंगी. चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि हाईवे से 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों को लाइसेंस न दिया जाए.
सुप्रीमकोर्ट में पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडू और पुदुच्चेरी राज्य से याचिका आयी थी. जिसमें सडकों पर बढ़ती दुर्घटनाओं का कारण शराब पीकर गाड़ी चलाना बताया गया था. केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 में देश भर में कुल 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं. इनमें 1 लाख 46 हज़ार लोगों ने जान गंवाई. इस साल का आंकड़ा और भी अधिक हो सकता हैं. इससे ये स्पष्ट है कि भारत में रोड एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं.
कोर्ट ने साफ़ किया है कि हाइवे के शहरी या आबादी वाले क्षेत्र से गुजरने वाले हिस्सों में भी शराब की दुकानों को लाइसेंस नहीं दिया जा सकेगा. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि शराब की दुकानें हाईवे पर चलने वालों की पहुंच से इतनी दूर हों कि वो उन्हें देख भी न सकें. चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि हाईवे से 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों को लाइसेंस न दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट में ‘अराइव सेफ’ नाम के एनजीओ ने ये पिटीशन लगाई थी. जिसमे कहा गया था हाईवे पर आसानी से शराब मिलना ड्रंक ड्राइविंग की वजह बनता है. रोड एक्सीडेंट में मरने वाले अधिकतर लोग शराब के कारण या तो एक्सीडेंट का शिकार बनाते हैं या दोसरों को इसका शिकार बनाते हैं.