नये साल की शुरुआत में बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दे दिया हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई अध्यक्ष के पद से हटा दिया. अनुराग के साथ बीसीसीआई सचिव अजय शिर्के को उनके पद से हटा दिया गया है. लोढ़ा समिति की सिफारिशों के चलते सुप्रीम कोर्ट और बीसीसीआई काफी दिनों से चर्चा में हैं. पिछले डेढ़ साल से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है. दो जनवरी को आए इस फैसले से पहले लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा था कि अनुराग ठाकुर ने इस मामले में झूठ बोला है या नहीं ? एमिकस क्यूरी ने हां में जवाब दिया था.
ये है मामला
बीसीसीआई में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें मानने को लेकर कमेटी काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था. बीसीसीआई लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को मानने से इनकार कर रही थी. इसी विषय पर जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सबको मानना पड़ेगा, इससे कोई नहीं बच सकता है. इसी के चलते अनुराग ठाकुर को अपनी बीसीसीआई अध्यक्ष पद की कुर्सी गवानी पडी. कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई के मामलों में पारदर्शिता न बरतने का आरोपी ठहराया. इस विषय में कोर्ट ने ये भी कहा कि बीसीसीआई और राज्य बोर्ड के अधिकारी क्रिकेट बॉडी में जिम्मेदारी और पारदर्शिता लाने के आदेश पर अमल करने में असफल रहे.
कोर्ट ने अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया हैं. और सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा पैनल के सुधारों को लागू कराने के लिए एक कमेटी भी बनाई है. बीसीसीआई में कार्य प्रणाली को पारदर्शक बनाने के लिए न्यायालय ने लोढ़ा समिति से कहा है कि वह एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करें, जो बीसीसीआई के सभी वित्तीय लेन-देन की समीक्षा करेगा.
जेल भी जा सकते हैं अनुराग
पिछली सुनवाई में अनुराग ठाकुर को कोर्ट ने झूठी गवाही देने के आरोप में फटकार लगाई थी. इसके साथ ही अनुराग पर शपथ लेने बाद झूठ बोलने का भी आरोप लगा है जिसे कानूनी भाषा में पर्ज्युरी (Perjury) कहा जाता है. कानून की नजर में पर्ज्युरी आपराधिक जुर्म हैं. और अगर यह जुर्म साबित होता है तो अधिकतम सात साल की जेल हो सकती है. इसके चलते अनुराग को शायद जेल की सजा भी मिल सकती हैं.