सपा में बहुत ही ज्यादा घमाशन मचा हुआ था की इसीके बीच अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया | लेकिन क्या आपको पता हैं की ये सब किसने किया मतलब किसने इतनी बड़ी रणनीति बने तो जान लीजिए वो हैं रामगोपाल यादव | जी हां वही रामगोपाल यादव जिसे मुलायम सिंह दो बार पार्टी से बाहर निकाल चुके हैं , लेकिन उन्होंने अखिलेश को अध्यक्ष बनाने की रणनीति बनाई |
पिछले तीन महीने से की तैयारी –
रामगोपाल यादव ने इस बात खास ध्यान रखा कि जो भी कदम उठाया जाए वो कानूनी तौर पर ठीक रहे। उन्होंने पिछले तीन महीने से इस तख्ता-पलट की रणनीति बना रहे थे। इस दौरान उन्होंने कानूनी जानकारों की सलाह ली, उनसे मुलाकात की। कई और जानकारों से मिलने के बाद ही उन्होंने पार्टी के सम्मेलन बुलाने का ऐलान किया।
कानूनी सलाह के बाद बुलाया सम्मलेन –
मुलायम सिंह यादव के विरोध के बावजूद भी रामगोपाल यादव ने पार्टी के संविधान का जिक्र करते हुए सम्मेलन को बुलाया। उन्होंने बताया कि पार्टी के संविधान में कहा गया है कि पार्टी का महासचिव सम्मेलन बुला सकता है अगर 40 फीसदी चुने गए प्रतिनिधि इसके समर्थन में हैं। रामगोपाल यादव ने जिस समय सम्मेलन का ऐलान किया गया, शिवपाल यादव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। रामगोपाल यादव को पता था कि शिवपाल यादव इस सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। ऐसे में पार्टी के संविधान को देखते हुए उन्होंने तय किया कि शिवपाल की गैरहाजिरी में पार्टी के उपाध्यक्ष इस सम्मेलन में शामिल हों। इसी के मद्देनजर उन्होंने पार्टी के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा को सम्मेलन में शामिल होने का न्यौता दिया। किरणमय नंदा इस सम्मेलन में शामिल हुए। रामगोपाल यादव ने पार्टी के लिखे संविधान को ध्यान में रखते हुए, उसके लूप-होल का फायदा उठाया। इसीलिए उन्होंने सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल की गैरहाजिरी के मद्देनजर उपाध्यक्ष को सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। ये पूरा खेल आंकड़ों पर आधारित था। सम्मेलन में ज्यादातर समर्थक अखिलेश यादव के ही समर्थन में नजर आए।
हालांकि रामगोपाल यादव इस समय पार्टी से बाहर हैं लेकिन फिर भी अखिलेश के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं | अब देखना दिलचस्प होगा का सपा का ये ड्रामा कहा जाके रुकता हैं |