यूपी चुनाव पूरे देश भर की नजरो में हैं और सबसे ज्यादा नजर में काबिज बीजेपी हैं | तो वही बीजेपी भी अपना पूरा जोर लगा रही हैं चाहे उसे बड़े नेताओं को साथ लाना पड़े चाहे छोटे नेताओ को | ऐसा ही पूर्वी यूपी में बीजेपी ने नया पैंतरा मारते हुए कई सारी छोटे छोटे नेताओ को एकजुट करने में लगी हैं |
छोटे नेताओ पे बीजेपी का दाँव –
एसबीएसपी की राजभर समुदाय में अच्छी पैठ और ओबीसी इस क्षेत्र में काफी पिछड़े हुए हैं, यहां प्रदेश की कुल आबादी का 2.6 फीसदी आबादी रहती है, लेकिन 70 सीटों पर नतीजों को यह समुदाय बदलने में सक्षम है, जिसमे मुख्य रूप से वाराणसी, आजमगढ़े, गोरखपुर अहम हैं। भाजपा का राजभर की पार्टी के साथ अपना दल से भी गठबंधन है। भाजपा ने अपना दल को कुल 12 सीटें दी हैं जबकि राजभर को 8 सीटें दी हैं, दोनों ही दलों को कुल मिलाकर भाजपा ने 20 सीटें दी हैं। आखिरी के चार चरण के मतदान में भाजपा कुल 204 सीटों पर अपनी नजर बनाए हुए है जोकि मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं।
ओबीसी मन्त्र –
भाजपा पूर्वी उत्तर प्रदेश में बेहतर करने की उम्मीद कर रही है, पार्टी के लिए राजभर, अनुप्रिया पटेल, गैर यादव व ओबीसी नेता पार्टी के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। ये सभी पूर्वी यूपी की पिछड़ी जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं जोकि कुल दो तिहाई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या, स्वामी प्रसाद मौर्या और भाजपा के ओबीसी मोर्चा के मुखिया दारा सिंह चौहान पिछड़ी जाति के वोटरों को लुभाने में पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाएंगे।
बीजेपी और सपा को पूर्ण बहुतमत की उम्मीद –
भाजपा नेताओं को विश्वास है कि वह 15 साल बाद प्रदेश की सत्ता में वापसी करेगी। वहीं सपा ने दावा किया है कि वह एक बार फिर से सत्ता में वापसी करेगी और अखिलेश यादव का करिश्मा काम आएगा।
जाहिर हैं की पूर्वी यूपी में भाजपा की स्थिति अब तक सबसे गंभीर थी लेकिन उसके इस दाँव से दूसरे डालो को तगड़ा झटका लग सकता हैं |