उत्तर प्रदेश के 7 में से 4 चरणों का मतदान पूरा हो चुका है. और यूपी चुनाव में पांचवे चरण के लिए मतदान 27 फरवरी को होना है. 52 विधानसभा क्षेत्रों में पांचवे चरण के दौरान 11 जिलों में वोट डाले जाएंगे. ये जिलें बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, अमेठी और सुल्तानपुर हैं. इन 52 सीटों में जिस सीट का सबसे बड़ा सांकेतिक महत्व है वो सीट है फ़ैज़ाबाद जिले की अयोध्या सीट.
क्यूँ हैं अयोध्या सीट महत्वपूर्ण
जब चुनावों की बात आती हैं भले ही ये लोक सभा के चुनाव हो या विधान सभा के. हर वोट व हर सीट महत्वपूर्ण होती हैं. लेकिन कुछ सीटें इसलिए अधिक महत्त्व रखती हैं क्यूंकि ये सीटें राजनीतिक दलों के लिए सम्मान का प्रश्न बन जाते हैं. अयोध्या की विधानसभा भी ऐसा ही महत्व रखती हैं.
बीजेपी के लल्लू सिंह 2012 से पहले लगातार 25 सालों तक यहां से विधायक रहे लेकिन 2012 में सपा के पवन पांडे ने उन्हें हरा दिया था, बाद में इन्ही पवन पांडे को अखिलेश सरकार में मंत्री पद भी दिया गया. ये मंत्री पद अयोध्या में मिली जीत का ही इनाम था. लल्लू सिंह को भी इस हार से अधिक नुकसान नहीं हुआ बल्कि फायदा ही हुआ. 2014 में बीजेपी ने अयोध्या से विधानसभा चुनाव हार चुके लल्लू सिंह को लोकसभा टिकट दिया और लल्लू सिंह मोदी लहर में जीत कर लोकसभा पहुंच चुके हैं.
अयोध्या में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने इस बार 2012 में बसपा से चुनाव लड़ चुके वेद प्रकाश गुप्ता को टिकट दिया है. वेद प्रकाश पहले सपा में रहे, फिर उन्होंने बसपा का दामन थामा और अब वो बीजेपी के साथ हैं. यहाँ वेद प्रकाश राम नाम के सहारे से लोगों से मत मांग रहे हैं. लेकिन सपा के पवन पांडे भी अपनी सीट को बचाने की पूरी कोशिश में लगे हैं.
वेद प्रकाश कहते हैं कि, “श्री राम के आशिर्वाद से ही उन्हें टिकट मिला है, राम मंदिर का मामला कोर्ट में है, पर अगर बीजेपी की सरकार आई तो वो अयोध्या का खोया हुआ गौरव वापस दिलाएंगे और वो सपा के मौजूदा विधायक पवन पांडे को वो आसानी से हरा देंगे.” पवन पांडे का कहना हैं कि यहां की जनता अखिलेश द्वारा किए गए विकास कार्यों की वजह से उन्हें वोट देगी.हालाँकि बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार बज़्मी सिद्दीक़ी सपा उम्मीदवार के लिए खतरा बन सकते हैं क्यूंकि यहाँ के 35 हजार मुस्लिम बसपा प्रत्याशी को वोट दे सकते हैं.