उत्तर प्रदेश में आज पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार थम गया हैं. इसके साथ ही यहाँ रैलियों का रेला भी रुक गया हैं. इतने प्रचार के बाद उत्तर प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री केवल एक ही सीट तय कर सकती हैं. ये सीट हैं हस्तिनापुर की. अभी तक ऐसा ही होता आया हैं कि जो भी डलीस सीट से चुनाव जीतता हैं उसका सत्ता में आना तय रहता हैं. इसी के चलते पसभी दलों ने पश्चिमी यूपी में प्रचार में खूब जोर लगायें.
लोकसभा में यहाँ से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा भी यहाँ फिर से जीत का स्वाद चखने के लिए तैयार हैं. पर चुनावी जमीन से जो खबरें आ रही हैं, उनसे बीजेपी की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं और उनके जाट धुरंधर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, सांसद हुकुम सिंह, विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा को अपनी साख बचाने के लाले पड़ गए हैं.
पश्चिमी यूपी के चुनावी मैदान से मिल रहे जाट समाज की नाराजगी के संकेतों ने भाजपा आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में पश्चिमी यूपी ने जाटों की नाराजगी दूर करने के लिए पश्चिमी यूपी के नेता संजीव बालियान को आगे किया हैं. ऐसी भी खबरें हैं कि पार्टी से नाराज चल रहे जाट समुदाय के लोगों को थामने के मोर्चे पर खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उतर आए हैं. इसके लिए अमित शाह ने जाट समाज के प्रमुख नेताओं संग मंत्रणा बैठक भी की हैं.
गौरतलब हैं कि जाटों को सबसे अधिक नोटबंदी ने प्रभावित किया हैं. सबको मालूम है कि जाट मूलत: किसान है और इनमें बड़े किसानों संख्या भी कम नहीं है. इस क्षेत्र में गन्ना प्रमुख फसल है और गन्ना भुगतान की समस्या जमाने से किसानों को परेशान करती है. नोटों की किल्लत के चलते साग-सब्जी की पैदावार में किसानों को 15-20 हजार रुपए प्रति एकड़ नुकसान हुआ है. इन सब कारणों से अधिसंख्या जाट बीजेपी से बिदक गए हैं.
हालाँकि अमित शाह ने ये भी कहा हैं कि केंद्र में जाट बिरादरी के 4 मंत्री हैं, तो इस बिरादरी के 12 लोगों को पार्टी ने टिकट दिया है. अब अमित शाह का ये पैंतरा बीजेपी और जाटों को कितना करीब लाता हैं ये तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा.