कैशलेस भारत के लिए सरकार के द्वारा लागू किये जा रहे नियमो में एक और नियम आया है जो की आपकी सैलरी से सम्बंधित है | हम आपको बता दे की मोदी सरकार ने वह अध्यादेश पास कर दिया है जिसमे किसी भी कर्मचारी को कोई भी कंपनी या कोई बड़े फर्म उसका पारिश्रमिक यानी की तनख्वाह नगद रूप से नहीं दे सकेगी | इस अध्यादेश पे कैबिनेट की मुहर लग चुकी है और कैबिनेट ने इसे पास कर दिया जिसके बाद यह भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा गया है | हालाकि इसमें कम्पनियों के पास नगद वेतन भुगतान करने का विकल्प भी होगा |
जाहिर है की नोट्बंदी के बाद संसद में यह विधेयक श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने पेश किया था जिसमे वेतन भुगतान के संशोधित विधेयक 2016 की धरा छ के अंतर्गत यह प्रस्ताव रखा गया की अब कोई भी कम्पनी या नियोक्ता किसी भी कर्मचारी के सैलरी का भुगतान नगद नहीं कर सकेगा इसके लिए उसे चेक या फिर इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रान्सफर का सहारा लेना होगा |
पहले क्या था कानून –
23 अप्रैल 1936 को यह कानून पास किया गया था की किसी भी कर्मचारी के वेतन का भुगतान नोट और सिक्को के माध्यम से किया जाएगा और फिर 1975 में चेक या फिर बैंक खाते में पैसे ट्रान्सफर करके किये जाने का प्रावधान शामिल किया लेकिन इस दायरे में वह कर्मचारी आते हैं जनका वेतन 18000 रुपये मासिक से कम था |
गौरतलब है की सरकार ने 15 दिसंबर 2016 को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था जिसे अगले वजट सत्र में पारित किया जाएगा लेकिन सरकार ने इन्तजार ना करते हुए अध्यादेश लाने का फैसला लिया | सरकार के द्वारा लाया गया अध्यादेश सिर्फ छ महीनो तक मान्य होता हैं इसके बाद इसे संसद में पारित करवाना अनिवार्य होता है |
डिजिटल इंडिया है उद्देश्य –
आपको बता दे की मोदी सरकार डिजिटल इंडिया को लेकर काफी बड़े कदम उठा रही हैं जिसमे से ये एक है | सरकार ने रोजाना डिजिटल तरीके से लेनदेन पे सर्विस पे छूट देने का वादा किया तो वही नीति आयोग ने इस योजना को और ज्यादा बढाने के लिए “ डिजिटल धन व्यापारी योजना ” और “ लकी ग्राहक योजना ” जैसे कई प्रयास किये हैं |