सांतवे चरण के लिए अब यूपी में प्रचार का शोर थम गया हैं. उत्तर प्रदेश में आख़री चरण का मतदान 8 मार्च को होना हैं. हर लिहाज़ से चुनावों का अंतिम चरण महत्वपूर्ण हैं. सभी पार्टियां पूर्वी उत्तर प्रदेश को जीत का दरवाजा मान रही हैं. चुनाव-प्रचार के लिए आखिरी तक सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. तमाम दिग्गज बनारस और आसपास की 40 सीटों के लिए जोर लगाते नजर आए. अंतिम चरण के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी में डटे हुए थे. उन्होंने दो दिन शनिवार और रविवार को रोड शो किया. वह लोगों से मिले भी और जनसभाएं की. पूर्वांचल में भाजपा अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं. वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी जिस प्रकार से रोड शो किये हैं उससे ये साफ़ दीखता हैं कि भाजपा बनारस में सभी सीटें अपने पक्ष में कर लेना चाहती हैं.
8 मार्च को होने वाली वोटिंग के लिए कुल 14 हजार 458 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. अंतिम चरण के चुनावों में पूर्वाचल के सात जनपदों गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र और जौनपुर की 40 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगेसातवें चरण में 535 राजनीतिक धुरंधर सियासत के अखाड़े में अपनी किस्मत आजमाएंगे. इन लोगों के भाग्य का फैसला 1 करोड़ 41 लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल के द्वारा करेंगे. कुल वोटरों में 64.76 लाख महिलाएं हैं2012 के चुनावों के समय यहाँ की 40 सीटों में से 23 एसपी के खाते में गई थी. जबकि, बीएसपी को 5, बीजेपी को 4, कांग्रेस को 3 और अन्य को 5 सीटें हासिल हुई थीं. अंतिम चरण में कुल 535 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है, जिनमें से बीएसपी के 40, बीजेपी के 32, समाजवादी पार्टी के 31, कांग्रेस के 9, आरएलडी के 21, एनसीपी के 5 प्रत्याशी हैं. सबसे अधिक 24 उम्मीदवार वाराणसी कैंट सीट से मैदान में हैं, जबकि सबसे कम छह प्रत्याशी केराकत सीट पर हैं.
यूपी के अंतिम चरण के चुनाव प्रचार में सभी दलोंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. भले ही पीएम मोदी अपने रोड शो व जनसभाओं के कारण सबका ध्यान भाजपा की ओर खींचने में सफल में सफल रहें लेकिन राहुल व अखिलेश का रोड शो भी भीड़ खींचने में सफल रहा. साथ ही अखिलेश की सासंद पत्नी डिंपल यादव, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और गठबंधन के समर्थक आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव सबने अपने-अपने दांव चले.