यूपी चुनाव: जुमलो और भाषणों के लिए भी याद रखे जायेंगे ये चुनाव

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UP Elections: The elections will be remembered for Jumlo and speeches

उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान हो चूका हैं और दुसरे चरण का मतदान कल होना हैं. चुनाव प्रचार दुसरे चरण के लिए भी समाप्त हो चूका हैं. इन दोनों चरणों के चुनाव प्रचार में एक बात कॉमन थी और वो था घटिया राजनीति का प्रदर्शन. यक़ीनन हम उस समय में नहीं रह रहे जहाँ विपक्षी नेता की असफलताओं पर तो बात की ही जाती थी लेकिन उनकी खूबियों का भी आदर किया जाता था. लेकिन हाल के दिनों में जुमलों और आरोप प्रत्यारोपों का जो सिलसिला चला हैं उससे राजनीति से अनुराग रखने वाले आमजन हैरान जरुर हैं.

UP Elections: The elections will be remembered for Jumlo and speeches

इस बार चुनावी सभाओं की हालत ये हो गए हैं कि नेता बल्कि यूँ कहिये बड़े नेता लोगो को कम संबोदित करते हैं. दुसरे बड़े नेताओं से सवाल ज्यादा पूछते हैं. जैसे अखिलेश यादव ने अपनी सभी चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि कहाँ हैं अच्छे दिन?  अब मोदी साहब कुछ ठहरकर जवाब देते हैं. अखिलेश के बार बार पूछने पर कल लखीमपुर में प्रधानमंत्री बोले गए कि आपने 5 सालों तक यूपी में राज़ किया पहले उसका हिसाब तो दो.

भाषण देने की कला में वर्तमान राजनीति में मोदी के सामने कोई राजनेता खड़ा नहीं दिखता. अब संसंद में मोदी द्वारा कहे गये रेनकोट वाले व्यक्तव को ही ले लें. मनमोहन सिंह के बारे में यह कहना कि ‘बाथरुम में रेनकोट पहनकर नहाना कोई डॉक्टर साहब से सीखे’, इसे कोई बहुत अनेतिक टिपण्णी कह रहा हैं और अन्य इस टिपण्णी पर उठे शोर गुल को राई का पहाड़ बता रहे हैं. लेकिन इसके जवाब में में राहुल गाँधी का कहना कि मोदी जी को दूसरों के बाथरूम में झाँकने का शौक हैं कहीं से भी नेतिक नहीं कहा जा सकता. यहाँ राहुल गाँधी की बड़ी गलती इसलिए भी हैं क्युंकी वो स्वयं को ‘युवा नेता’ कहते हैं. भारत की राजनीती का भविष्य इतनी ओछी बात कैसे कर सकता हैं.

मल्लिकार्जुन खेडगे का लोकसभा में “कुत्ता” कहे जाने वाला बयान भी इसी श्रेणी में आता हैं. हालाँकि उस पर इतनी हाय तौबा नहीं मची जितनी कि पीएम मोदी द्वारा भूकंप वाली बात पर मची थी.

अगर हम केवल बयानों के आधार पर देखें तो मोदी अखिलेश व राहुल को आसानी से मात दे सकते हैं. लेकिन इस बयानबाजी से राजनीती का गिरता स्तर परिलक्षित होता हैं. और आन जनता को केवल काम से मतलब हैं. बोलने वाले तो उन्हें भी हर नुक्कड़ चौराहें पर मिल सकते हैं.

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