यूपी चुनाव : मुस्लिम मतदाता तय करेगा प्रदेश का भाग्य.

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UP polls: Muslim voters will decide the fate of the region

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में धर्म व जाति पर वोट न मांगने की याचिका पर सुनवाई की हैं. इसी बीच देश की पांच विधानसभा में चुनावों के होने की घोषणा भी हो गयी. इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक उत्तर प्रदेश भी हैं. उत्तर प्रदेश में चुनावों का जीतना और हारना यहाँ के जातीय समीकरणों पर अधिक निर्भर करता हैं.

समाजवादी में चल रहे झगड़े की वजह से सभी राजनितिक दलों को अपनी रणनीति बदलनी पडी. अभी तक सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता समाजवादी पार्टी को अपना मत देता था. अब जबकि समाजवादी पार्टी में फूट पड़ती दिख रहे हैं तो अन्य राजनीतिक दल इस फूट से फायदा उठाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं.  मत प्रतिशत के दृष्टिकोण से देखें तो पता चलता है कि करीब 18 जिले ऐसे हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 20 से 48 प्रतिशत के बीच है, ऐसे में अगर किसी भी पार्टी के पास 20 से 25 प्रतिशत मतों का स्थानांतरण होता है तो वह दल उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज़ हो सकता है. 2012 में हुए विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को मुस्लिमों का एकतरफा वोट मिला था. जिसके कारण ही सपा सत्ता में आयी थी.

UP polls: Muslim voters will decide the fate of the region

बसपा ने इस बार 403 विधान सभाओं में से 97 पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. लगभग 24 प्रतिशत विधानसभा सीटों पर बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशियों को उतार कर ये दिखा दिया हैं कि बसपा की नज़र सपा के वोटबैंक को अपना करने में लगी हैं. हालाँकि बसपा प्रत्याशियों की लिस्ट को देखकर बसपा के पारम्परिक मतदाताओं यानि दलित समाज जरुर पसोपेश में हैं. दलित मतदाताओं को ये लगने लगा हैं कि बसपा अब दलितों की कम और मुस्लिमों की अधिक हो गयी हैं. बसपा ने वैसे 110 से अधिक अगड़ी जातियों के प्रत्याशी भी मैदान में उतारे हैं लेकिन उस पर इतनी हायतौबा नहीं मची जितनी की मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या को लेकर मच रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण ये हैं कि हिन्दू मतदाता जातीय समीकरणों में उलझ कर रह गया हैं और मुस्लिम मतदाता चुनावों के समय अधिकतर एकजुटता का प्रदर्शन करता हैं.

उत्तर प्रदेश में सपा बसपा और भाजपा के बीच ही चुनावी टक्कर का होना तय माना जा रहा हैं. इसमें से भाजपा को मुस्लिम मतदाता बहुत पसंद नहीं करते. सपा में अभी कुछ स्पष्ट होता नहीं दिख रहा. ऐसे में बसपा सभी मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में कर के सत्ता की राह पाना चाहती हैं.

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