गुरुवार को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के तृतीय वर्ष वर्ग के आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कदम की वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सराहना की है। प्रणब के नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय जाने और उनके संबोधन को देश की हाल के समय की बड़ी घटना बताते है। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के प्रणब मुखर्जी को न्योता देने के लिए भी उनकी तारीफ की है।
प्रणव ने दिया सद्भावना का परिचय-
प्रणब मुखर्जी की तारीफ करते हुए आडवाणी ने कहा कि आरएसएस के न्योते को स्वीकार कर पूर्व राष्ट्रपति ने सद्भावना का परिचय दिया। एक बयान में आडवाणी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में लंबे अनुभव और उनके स्वभाव ने प्रणब एक ऐसा स्टेट्समैन बना दिया है जो दृढ़तापूर्वक यह मानता है कि तमाम वैचारिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों के बीच संवाद और सहयोग बेहद जरूरी है।
भागवत के भाषण की तारीफ-
आडवाणी ने कहा कि मोहन भागवत और प्रणब मुखर्जी के भाषणों में सामंजस्यता साफ नजर आई, दोनों ने वैचारिक मान्यताओं और मतभेदों से ऊपर उठकर संवाद का सराहनीय उदाहरण पेश किया है। आडवाणी ने कहा कि खुलेपन और आपसी आदर के जरिए इस तरह के संवाद से हमारे सपनों के भारत के लिए बहुत जरूरी है, ये सहिष्णुता, सद्भाव और सहयोग का माहौल बनाने में मदद करेगा।
प्रणव का भाषण राष्ट्रवाद पर-
प्रणब मुखर्जी गुरुवार को आरएसएस के तृतीय वर्ष वर्ग के आयोजन में शामिल होने नागपुर पहुंचे थे। यहां अपने संबोधन में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश और राष्ट्रवाद पर भाषण दिया। प्रणब मुखर्जी के आरएसएस कार्यक्रम में जाने को लेकर लगातार भाजपा और कांग्रेस नेता बयान दे रहे हैं। कई लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं, तो कई उनके इस कदम की कड़ी आलोचना भी कर रहे हैं।
कांग्रेस का ये रवैया-
प्रणब मुखर्जी के संबोधन के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने विविधता में एकता की बात की। मोदी सरकार को राजधर्म की याद दिलाई। उन्होंने संघ के मुख्यालय से देश की खूबसूरती को बताया। उन्होंने अपने संबोधन के जरिए पीएम मोदी को बताया कि राष्ट्रवाद क्या है। उन्होंने संघ को सच्चाई का आईना दिखाने का प्रयास किया। प्रणब मुखर्जी द्वारा हेडगेवार को भारत मां का सपूत बताने उन्होंने कहा कि वो मात्र आवश्यक औपचारिकता थी। वहीं कांग्रेस नेता ने पवन खेड़ा ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने संघ मुख्यालय में अपने संबोधन में जो कुछ कहा उसे समझने में आरएसएस और बीजेपी को अरसा लग जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन के जरिए संघ को आईना दिखाया, जिसमें अपना चेहरा देखने के बाद उन्हें अफसोस होगा कि प्रणब मुखर्जी को क्यों बुलाया।