समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातें काफी दिनों से चल रहे थी. जैसे ही सपा का गृहयुद्ध शांत हुआ और पार्टी की कमांड पिता के मुलायम हाथों से निकल कर अखिलेश के हाथों में आयी तो इस गठबंधन पर लगभग मुहर सी लग गयी थी. लेकिन अब इस गठबंधन की तस्वीर साफ़ सी नज़र नहीं आ रही हैं.
यूपी में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं जिनमे से 300 पर सपा और बाकियों पर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती थी. सपा इन 300 सीटों को किसी हालत में नहीं छोड़ना चाहती हैं इसी के चलते रालोद इस गठबंधन में शामिल नहीं हो पायी क्युनो कांग्रेस भी 100 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिया तैयार नहीं थी. लेकिन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट देखकर लगता हैं की सपा को सीटों का ये जोड़ तोड़ रास नहीं आ रहा हैं.
अखिलेश यादव ने सपा के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में जिन 191 उम्मीदवारों के नाम जारी किए उनमें उन सीटों पर भी उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं जिनपर पिछली बार कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और वो सीटें कांग्रेस की डिमांड लिस्ट में शामिल थीं. इस पर सपा उपाध्यक्ष किरणमय नंदा का बयान भी आ गया कि हम कांग्रेस को 84-89 सीटें दे सकते हैं. अब कांग्रेस के हालत चिंताजनक हैं क्यूंकि कांग्रेस में गठबंधन के तैयारी काफी दिनों से चल रही थी. ऐसे में कांग्रेस को कहीं 84 से 89 सीटों पर ही संतोष न करना पड़ जाएँ.
सपा ने कांग्रेस की दस सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी हैं. इनमें शामली, खुर्जा, स्वार, गंगोह, मथुरा, स्याना, देवबंद, हापुड़ व देवप्रयाग आदि सीटें शामिल हैं. इसके अतिरिक्त अभी अमेठी और रायबरेली की 10 विधानसभा सीटों पर समझोता होना बाकी हैं. यहाँ की अधिकांश सीट कांग्रेस मांग रही है जिन्हें समाजवादी पार्टी देने के लिए तैयार नही है. यहीं हाल मेरठ की शहरी सीट का भी हैं. यहाँ भी कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रही थी लेकिन यहाँ भी बाजी सपा ने ही मार ली.
सपा की र से जारी उम्मीदवारों की लिस्ट देखते हुए तो लगता हैं कि सपा कांग्रेस गठबंधन अब मुमकिन नहीं हैं. लेकिन कांग्रेस इस गठबंधन को करने की जी तोड़ कोशिशों में लगी हैं.