यूपी में जीत की प्रबल दाबेदार और अपनी डूबती नैया बचने के प्रयास में लगी पार्टी कांग्रेस के बीच महागठबंधन की खबरे तेज हो ह रही थे की कल मुलायम सिंह यादव ने इससे इनकार कर दया और कहा की हम किसी से गठबंधन नहीं करेगे और अकेले सरकार बनाएगे |
सबको एकजुट करने की कोशिश में मुलायम –
सपा के रजत जयंती कार्यक्रम में तमाम समाजवादी दलों को मुलायम सिंह ने एक मंच पर आने का न्योता दिया और महागठबंधन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई थी, खुद शरद यादव ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि मुलायम ने उन्हें और देवेगौड़ा को गठबंधन पर बात करने के लिए बुलाया था। लेकिन यहां समझने वाली बात यह है कि परिवार के भीतर जिस तरह से घमासान मचा हुआ है उसे देखते हुए मुलायम सिंह सबसे पहले पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के प्रयास में जुटे हैं और वह इस बात का बिल्कुल भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं कि पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता दो पक्ष में बंट जाएं। ऐेस में एक तरफ जहां मुलायम सिंह के सामने परिवार को एकजुट करने के साथ कार्यकर्ताओं को साथ बनाए रखने की चुनौती है, उस वक्त वह गठबंधन करके दूसरी चुनौती को लेने से दूरी बनाना चाहते हैं।
हमने अपनी शर्तो पे छोड़ा गठबंधन –
कांग्रेस ने गठबंधन में १०० सीटो सही डिप्टी सीएम का पद मागा था ऐसे में मुलायम सिंह यादव ने 325 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा करके सिर्फ 78 सीटों पर उम्मीदवारों को छोड़ा है। माना जा रहा है कि जो 78 सीटें उन्होंने छोड़ी है उसे वह अन्य तमाम दलों के लिए विकल्प के तौर पर छोड़ा है, ऐसे में मुलायम सिंह ने यह संकेत साफ तौर पर देने की कोशिश की है कि अगर कोई गठबंधन होना है तो वह गठबंधन उनकी शर्तों पर होगा ना की किसी और पार्टी के शर्तो पे |
मुलायम की दूरगामी सोच –
ऐसे में उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर मुलायम सिंह ने तत्कालीन हित को किनारे रखते हुए लोकसभा चुनाव पर नजर बना रहे हैं। उन्हें पता है कि प्रदेश में सपा की सरकार ने अपना पांच साल पूरा किया और उनके बेटे अखिलेश यादव युवा नेता हैं, ऐसे में विपक्ष से सपा को कुछ खास नुकसान होता नहीं दिख रहा है।